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मिडिल ईस्ट में महाविनाश का खतरा! इजरायल-ईरान जंग अब परमाणु ठिकानों तक पहुंची
तेल अवीव/तेहरान: मिडिल ईस्ट में युद्ध का ज्वालामुखी फट चुका है और अब इसने परमाणु ठिकानों तक आग पहुंचा दी है! महज आठ दिनों के भीतर इजरायल और ईरान के बीच छिड़ी जंग अब बेहद खतरनाक मोड़ पर आ गई है। दोनों मुल्क एक-दूसरे पर ताबड़तोड़ हमले कर रहे हैं। गुरुवार की रात इजरायल ने ईरान के अराक, नतांज और खोंडब हेवी-वाटर रिसर्च साइट के आसपास के इलाकों को निशाना बनाते हुए परमाणु ठिकानों पर बमबारी की।
इस हमले के तुरंत बाद ईरान ने भी करारा जवाबी हमला किया है, जिससे पूरे क्षेत्र में तनाव चरम पर है।
इजरायली सेना ने गुरुवार को बताया कि ईरान ने कम से कम एक ऐसी मिसाइल दागी, जिसमें छोटे-छोटे बम (क्लस्टर मिसाइल) थे, जिनका मकसद नागरिकों को ज्यादा नुकसान पहुंचाना था। यह इस जंग में क्लस्टर मिसाइल के पहले इस्तेमाल का दावा है।

नागरिक इलाकों में फटे बम
इजरायली सेना के अधिकारियों ने इस बारे में और कोई जानकारी नहीं दी। हालांकि, इजरायली न्यूज चैनलों के हवाले से बताया गया कि यह मिसाइल मध्य इजरायल के ऊपर करीब 4 मील (7 किलोमीटर) की ऊंचाई पर फटी, जिससे इसके अंदर मौजूद करीब 20 छोटे बम 5 मील (8 किलोमीटर) के दायरे में बिखर गए।
यह हमला दोनों मुल्कों के बीच बढ़ते तनाव को और गंभीर बनाता है, क्योंकि क्लस्टर मुनिशन का इस्तेमाल अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवादास्पद माना जाता है।
न्यूज़ एजेंसी ISNA के मुताबिक, ये इलाके ईरान के परमाणु कार्यक्रम का अहम हिस्सा हैं। दूसरी तरफ, लेबनान की हिजबुल्लाह ने ईरान का खुलकर समर्थन किया है।
हिजबुल्लाह के उप नेता शेख नईम कासिम ने इजरायल और अमेरिका को ललकारते हुए कहा कि ईरान का परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और इसका मकसद राष्ट्रीय विकास है। The Jerusalem Post के हवाले से उनकी स्पीच में कहा गया, "ईरान के खिलाफ वैश्विक विरोध उसकी परमाणु महत्वाकांक्षाओं की वजह से नहीं, बल्कि उसके विश्वास, ज्ञान और आजादी के रुख की वजह से है, जो मजलूमों को ताकत देता है।"
संयुक्त राष्ट्र में आपात बैठक
पिछले शुक्रवार को इजरायल के हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की आपात बैठक हुई थी। अब ईरान ने रूस, चीन और पाकिस्तान के समर्थन से एक और बैठक की मांग की है। UNSC आज फिर इस तनाव पर चर्चा के लिए इकट्ठा होगा।
वॉशिंगटन के एक ईरानी मानवाधिकार समूह के मुताबिक, ईरान में अब तक 639 लोग मारे गए हैं, जिनमें 263 आम नागरिक हैं, जबकि 1,300 से ज्यादा लोग घायल हुए हैं। जवाबी कार्रवाई में ईरान ने इजरायल पर करीब 400 मिसाइलें और सैकड़ों ड्रोन दागे, जिससे इजरायल में 24 लोग मारे गए और सैकड़ों घायल हुए। एपी की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान की मिसाइलें इजरायल में एक मेडिकल बिल्डिंग और आसपास के अपार्टमेंट्स पर गिरीं, जिससे भारी नुकसान हुआ।
इस बीच, ईरान के शक्तिशाली इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के कमांडर मोहसिन रजेई ने दावा किया कि नतांज, इस्फहान, खंदाब और अराक जैसे महत्वपूर्ण परमाणु ठिकानों से सामग्री को हमलों से पहले ही सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। उन्होंने इजरायल को सीधे तौर पर चेतावनी देते हुए कहा, "युद्धविराम दुश्मन को ताकत जुटाने का मौका देगा, जो हमें बिल्कुल मंजूर नहीं।" रजेई ने आगे कहा कि ईरान ने अभी तक अपनी कुल सैन्य ताकत का केवल 30% ही इस्तेमाल किया है और युद्ध को जानबूझकर धीरे-धीरे तेज किया जा रहा है। हालात की गंभीरता को देखते हुए, इजरायली डिफेंस फोर्सेज (IDF) के मुताबिक, ईरान की बैलिस्टिक मिसाइलों के ताजा हमले के बाद बीरशेबा और आसपास के इलाकों में हवाई हमले के सायरन बजे। नागरिकों को तुरंत बम शेल्टर में जाने की हिदायत दी गई है, क्योंकि दोनों देशों के बीच तनाव कम होने के बजाय और गहराता जा रहा है।
