चंदन मिश्रा हत्याकांड: कोलकाता से आरोपी तौसीफ़ और उसके साथियों को कवर कर रहे पत्रकार को जहानाबाद में पुलिस ने रोका, विकास दुबे और अमन साव एनकाउंटर की पुनरावृत्ति की आशंका, देखे वीडियो

चंदन मिश्रा हत्याकांड: कोलकाता से आरोपी तौसीफ़ और उसके साथियों को कवर कर रहे पत्रकार को जहानाबाद में पुलिस ने रोका, विकास दुबे और अमन साव एनकाउंटर की पुनरावृत्ति की आशंका, देखे वीडियो

चंदन मिश्रा हत्याकांड में आरोपी तौसीफ़ को कवर कर रहे पत्रकार को जहानाबाद में पुलिस ने रोका, जिससे विकास दुबे और अमन साव एनकाउंटर जैसी पुनरावृत्ति की आशंका गहराई। पुलिस की मंशा और पारदर्शिता पर उठे सवाल।

जहानाबाद: उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे और झारखण्ड के गैंगस्टर अमन साव एनकाउंटर कांड की यादें ताजा हो गई हैं। ऐसा ही एक मामला कोलकाता से बिहार की ओर लौट रहे चंदन मिश्रा हत्याकांड के मुख्य आरोपी तौसीफ़ और उसके साथियों की गतिविधियों को कवर कर रहे एक पत्रकार को बिहार के जहानाबाद जिले के पास पुलिस ने अचानक रोक दिया। बताया जा रहा है कि पत्रकार तौसीफ़ की गिरफ्तारी से जुड़ी घटनाओं को नजदीक से कवर कर रहे थे और उसी क्रम में वे कोलकाता से उनके पीछे-पीछे आ रहे थे।

हालांकि, जैसे ही तौसीफ़ और उसके साथियों को लेकर पुलिस टीम बिहार सीमा में दाखिल हुई, उसी वक्त पत्रकार की गाड़ी को रोका गया और आगे बढ़ने से मना कर दिया गया। पुलिस की इस कार्रवाई ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं। पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं का कहना है कि इस पूरी स्थिति में "पारदर्शिता" का अभाव दिखाई देता है और इससे उत्तर प्रदेश के गैंगस्टर विकास दुबे और झारखण्ड के गैंगस्टर अमन साव एनकाउंटर कांड की यादें ताजा हो गई हैं।

गौरतलब है कि कोलकाता में चर्चित व्यवसायी चंदन मिश्रा की हत्या के मामले में तौसीफ़ मुख्य आरोपी है। पुलिस उसे लंबे समय से तलाश रही थी और हाल ही में उसकी गिरफ्तारी को लेकर एक बड़ी सफलता मिली है। तौसीफ़ को कोलकाता से हिरासत में लेकर बिहार लाया जा रहा था, लेकिन इस पूरी प्रक्रिया को कवर कर रहे एक पत्रकार को जिस तरह जहानाबाद के पास रोका गया, उसने पूरे घटनाक्रम को संदिग्ध बना दिया है।

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पत्रकार को बिना किसी स्पष्ट कारण के रोकना और उसे घटनास्थल से अलग करना, यह दर्शाता है कि पुलिस इस मामले में कुछ छुपाने की कोशिश कर सकती है। इससे पहले विकास दुबे और अमन साव एनकाउंटर में भी इसी तरह मीडिया को दूर रखा गया था और बाद में आरोपी की "पुलिस मुठभेड़" में मौत हो गई थी। उस समय भी पुलिस पर मनगढ़ंत कहानी रचने और आरोपी को रास्ते से हटाने के आरोप लगे थे। कानून विशेषज्ञों और पत्रकार संगठनों का मानना है कि अगर पुलिस का इरादा सही है तो मीडिया को रोकने की कोई आवश्यकता नहीं होनी चाहिए। एक लोकतांत्रिक देश में पुलिस कार्रवाई की निगरानी और पारदर्शिता बेहद जरूरी है।

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जहानाबाद में पत्रकार को रोके जाने की घटना न केवल प्रेस की स्वतंत्रता पर सवाल खड़ा करती है, बल्कि पुलिस की मंशा पर भी संदेह उत्पन्न करती है। चंदन मिश्रा हत्याकांड पहले ही हाई-प्रोफाइल बन चुका है और अब इस पर की जा रही कार्रवाई में पारदर्शिता न होना लोगों की चिंता का विषय बन गया है। ऐसे में यह देखना अहम होगा कि आगे पुलिस किस तरह से अपनी प्रक्रिया को सामने लाती है और क्या आरोपी को न्यायिक प्रक्रिया के तहत कोर्ट में पेश किया जाता है या फिर एक बार फिर "एनकाउंटर" की पटकथा दोहराई जाती है।

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