54 बिल्डरों के लिए खोद डाली 25 करोड़ की मुरूम हाई कोर्ट ने लिया स्वतः संज्ञान 

बिलासपुर। सेना के स्वामित्व वाली जमीन से 50 लाख घन मीटर मुरुम के अवैध उत्खनन और बिक्री के मामले में गुरुवार को हाई कोर्ट में अहम सुनवाई हुई। यह चौंकाने वाला खुलासा हुआ कि इस चोरी की गई मुरुम का इस्तेमाल शहर के 54 बड़े बिल्डरों और ठेकेदारों ने अपने निर्माण कार्यों में किया है। हाई कोर्ट ने इस गंभीर मामले पर कड़ा रुख अपनाते हुए खनिज विभाग को सख्त निर्देश दिए हैं कि वे पूरे प्रकरण की गहराई से जांच कर दो सप्ताह के भीतर एक विस्तृत रिपोर्ट कोर्ट के समक्ष प्रस्तुत करें।

 सरकार को 25 करोड़ की रॉयल्टी का नुकसान

चकरभाठा एयरपोर्ट के पास स्थित रक्षा मंत्रालय की जमीन से अवैध रूप से मुरुम निकाली गई थी। इस massive चोरी के कारण राज्य सरकार को रॉयल्टी मद में करीब 25 करोड़ रुपये का भारी नुकसान हुआ है। उत्खनित मुरुम का उपयोग मुख्य रूप से रायपुर रोड के परसदा इलाके और आसपास की नई कॉलोनियों में सड़क निर्माण और अन्य निर्माण कार्यों में किया गया है।

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54 बिल्डर और ठेकेदार घेरे में

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सुनवाई के दौरान यह तथ्य स्पष्ट हुआ कि अवैध उत्खनन की यह प्रक्रिया अभी भी जारी है और रोज रात में जेसीबी तथा हाइवा गाड़ियों के जरिए मुरुम की खोदाई और परिवहन किया जा रहा था। इस मुरुम का उपयोग करने वालों में शहर के 54 बिल्डर्स और ठेकेदार शामिल हैं, जो अब जांच के दायरे में आ गए हैं।

 हाई कोर्ट ने लिया था स्वतः संज्ञान

इस अवैध खोदाई को लेकर रक्षा विभाग के संपदा अधिकारी नेहा गुप्ता और मोहम्मद आलम ने बिलासपुर कलेक्टर से मुलाकात कर इसे तुरंत रोकने की मांग की थी। मीडिया में प्रकाशित खबरों के आधार पर हाई कोर्ट ने इस मामले को स्वतः संज्ञान में लिया और इसे जनहित याचिका (PIL) के रूप में दर्ज किया। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस रविंद्र कुमार अग्रवाल की खंडपीठ ने इस मामले में राज्य सरकार, रक्षा मंत्रालय और कॉलोनी संचालकों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा था। कोर्ट ने खनिज विभाग को कड़ी जांच के निर्देश देते हुए दो सप्ताह बाद मामले की अगली सुनवाई तय की है।

 बरसात थमते ही सक्रिय हुए माफिया, तेलसरा रहगी समेत चकरभाठा एयरपोर्ट के पास मुरूम की अवैध खोदाई तेज

बरसात का मौसम खत्म होते ही एक बार फिर चकरभाठा भैंसबोड़ एयरपोर्ट और उसके आसपास के इलाके, जैसे चकरभाठा, तेलसरा और रहगी में मुरूम की अवैध खोदाई का काम जोरों पर शुरू हो गया है। सूत्रों के अनुसार, देर रात जेसीबी और भारी वाहनों का उपयोग कर बड़े पैमाने पर मुरूम निकाली जा रही है। यह मुरूम आसपास की निजी कॉलोनियों और सड़कों के निर्माण में बेची जा रही है, जिससे राज्य सरकार को रॉयल्टी का भारी नुकसान हो रहा है।

सबसे चिंताजनक बात यह है कि इतनी बड़ी मात्रा में हो रही इस अवैध गतिविधि के बावजूद खनिज विभाग के अधिकारी पूरी तरह से आंखें मूंदे बैठे हैं। स्थानीय लोगों का आरोप है कि विभाग के निष्क्रिय रवैये के कारण माफिया बेखौफ होकर सरकारी और निजी जमीनों पर उत्खनन कर रहे हैं। 

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