निगम की ढीली रफ्तार: 910 में से सिर्फ 593 नक्शे पास, 200 से ज्यादा आवेदन अटके

बिलासपुर। शहर में मकान बनाना लोगों के लिए बड़ी चुनौती बन गया है। नगर निगम के आठों जोन में पिछले पाँच महीनों में भवन निर्माण के लिए आए 910 आवेदनों में से सिर्फ 593 नक्शे ही पास हो पाए हैं। इसका सीधा मतलब है कि लगभग 35 प्रतिशत आवेदन अभी भी अटके पड़े हैं। निगम के ढीले रवैये और कर्मचारियों की कमी ने आवेदकों को महीनों से चक्कर कटवाए हैं। निगम के रिकॉर्ड बताते हैं कि 200 से अधिक आवेदनों को बार-बार लौटाया (री असाइन) गया है, जबकि करीब 10 आवेदन सीधे रद्द कर दिए गए हैं।

आवेदकों को जानकारी नहीं, भटक रहे लोग

निगम ने नियमों को ताक पर रख दिया है। नियमों के मुताबिक, हर जोन कार्यालय को बताना होता है कि किस आवेदन में क्या कमी है और वह पास क्यों नहीं हो पाया। इसके लिए कारण-पत्रक चस्पा करने की व्यवस्था है, लेकिन शहर के किसी भी जोन कार्यालय में यह जानकारी सार्वजनिक नहीं की गई है। इसके चलते आवेदकों को पता ही नहीं चल पाता कि उनकी फाइल किस स्तर पर अटकी है और उसमें क्या कमियाँ हैं। एक आवेदक ने बताया, "आवेदन जमा करने के बाद महीनों इंतजार करना पड़ता है, लेकिन कोई यह जानकारी नहीं देता कि मेरी फाइल कहाँ है।

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अवैध प्लॉटिंग और कागजों की कमी बड़ी वजह

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नक्शे अटकने के पीछे कई कारण सामने आए हैं। अधिकारियों का कहना है कि कई आवेदकों ने जरूरी दस्तावेज पूरे नहीं किए, जबकि कुछ नक्शों में तकनीकी खामियाँ मिलीं। इससे भी गंभीर मामला अवैध प्लॉटिंग का है। अपर आयुक्त खजांची कुम्हार ने बताया, "करीब 50 से अधिक आवेदन अवैध प्लॉटिंग के हैं। सबसे ज्यादा मामले जोन 7 के हैं।" उन्होंने आगे कहा कि लोगों ने किसानों से जमीन तो खरीद ली है, लेकिन इसका ले आउट पास ही नहीं कराया गया है। बहतराई और बिजौर में ऐसे कई मामले सामने आए हैं।

एसआईआर ड्यूटी से चरमराया कामकाज

नगर निगम की कार्यप्रणाली पर सबसे बुरा असर कर्मचारियों की कमी ने डाला है। हाल ही में निगम के 300 से ज्यादा कर्मचारियों की ड्यूटी एसआईआर कार्य में लगा दी गई थी। इससे जोन स्तर पर कामकाज बुरी तरह प्रभावित हुआ। खास तौर पर जोन 2 और जोन 7 में तो सफाई व्यवस्था भी चरमरा गई। भवन शाखा में फाइलें लंबित होती चली गईं। कंप्यूटर ऑपरेटर भी अपनी सीट पर नहीं थे, जिससे ऑनलाइन एंट्री और नक्शा अपलोड करने जैसे जरूरी काम धीमी गति से चल रहे थे।

अपर आयुक्त खजांची कुम्हार ने हालाँकि दावा किया कि एसआईआर कार्य में ड्यूटी लगने से निगम के कामकाज पर कोई असर नहीं पड़ा है। उन्होंने कहा, "बिजली, पानी, टैक्स वसूली समेत सभी काम नियमित रूप से हो रहे हैं। जहाँ तक नक्शे की बात है, दस्तावेज पूरा होने के बाद ही नक्शे पास होते हैं।"

कहाँ कितने नक्शे पास हुए (पिछले 5 माह)

 

  •  जोन 7 - 167 
  • जोन 6 - 145 
  • जोन 1 - 76 
  •  जोन 2 - 70 
  • जोन 4 - 49 
  • जोन 3 - 43 
  • जोन 8 - 31 
  •  जोन 5 -12 

सबसे ज्यादा नक्शे जोन 7 में और सबसे कम जोन 5 में पास किए गए हैं। यह आँकड़ा साफ दिखाता है कि पूरे निगम में काम करने की गति एक समान नहीं है।

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