रायपुर के दो प्राचीन और प्रसिद्ध मठ जैतूसाव-दूधाधारी में गड़बड़ी की शिकायत, पंजीयक ने न्यासियों को भेजा नोटिस, अपना पक्ष रखने दिया समय

रायपुर के दो प्राचीन और प्रसिद्ध मठ जैतूसाव-दूधाधारी में गड़बड़ी की शिकायत, पंजीयक ने न्यासियों को भेजा नोटिस, अपना पक्ष रखने दिया समय

राजधानी रायपुर के जैतूसाव और दूधाधारी मठ में गंभीर अनियमितताओं और अवैध कब्जे के आरोपों पर सार्वजनिक न्यास पंजीयक ने संचालकों को नोटिस जारी किया है। ट्रस्ट संपत्तियों के दुरुपयोग, अवैध बैठक और आर्थिक गड़बड़ियों के आरोपों की जांच शुरू हो गई है। धर्मावलंबियों में नाराजगी और चिंता।

रायपुर। छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर के दो प्राचीन और प्रसिद्ध मठ जैतूसाव और दूधाधारी के कर्ता-धर्ताओं की कार्यशैली एक बार फिर सुर्ख़ियों में है. शिकायत पर पंजीयक, सार्वजनिक न्याय ने दोनों मठों का संचालन करने वालों को नोटिस भेजकर न्यायालय के समक्ष अपना पक्ष प्रस्तुत करने को कहा है.

बात करें जैतूसाव मठ की तो न्यास के ट्रस्टी नहीं होने के बाद भी महंत रामसुंदर दास, सत्यनारायण शर्मा, सुरेश शुक्ला, जगन्नाथ अग्रवाल, ओमप्रकाश अग्रवाल, सीताराम अग्रवाल और रमेश यदु पर विधि विरुद्ध अनधिकृत कब्जा करने का आरोप लगाया गया है. इसके साथ न्यास के नाम से लैटर पेड में अपना नाम छापकर न्यास की संपत्ति की चोरी करने का आरोप लगाया गया है.

पंजीयक, सार्वजनिक न्यास से की गई शिकायत में पुष्पेन्द्र उपाध्याय ने आरोप लगाया कि 22 अक्टूबर 2024 को अवैध रूप से न्यास की बैठक कर न्यास की दतरेंगा स्थित 17 एकड़ जमीन के सबंध में एक प्रस्ताव पास किया, और बिना अधिकार के 62 लाख रुपए न्यास के नाम से प्राप्त कर लिए है. शिकायतकर्ता ने आरोप लगाया कि इस मामले में न्यासी महेंद्र अग्रवाल और ट्रस्टी अजय तिवारी की इन कार्यों में मिली भगत हैं.

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वहीं श्री बालाजी स्वामी श्री दूधाधारी मठ की बात करें तो शिकायतकर्ता हेमंत करमेले ने शिकायत की है, जिसमें आरोप लगाया गया है कि महंत रामसुंदर दास के संरक्षण में न्यासियों द्वारा लगभग 300 साल प्राचीन हिन्दू मठ में घोर भ्रष्टाचार, अनियमितताएं, मंदिर संपत्तियों का विक्रय, अव्यवस्था और विधि विरुद्ध कार्य किया जा रहा है.

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न केवल रायपुर, बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में आस्था के इन केंद्रों में गंभीर अनियमितता की शिकायत पर पंजीयक, सार्वजनिक न्यास द्वारा नोटिस जारी किए जाने के बाद इन लोगों के द्वारा अब क्या कदम उठाया जाता है, इसका मठ से प्रत्याक्ष और अप्रत्यक्ष तौर से जुड़े लोगों के अलावा हिन्दू धर्मावलंबी बेशब्री इंतजार कर रहे हैं.

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