छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रात 11 बजे खुला दरवाज़ा और हुई सुनवाई, आज़ादी के पहले का है यह मामला

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रात 11 बजे खुला दरवाज़ा और हुई सुनवाई, आज़ादी के पहले का है यह मामला बिलासपुर : हाईकोर्ट का दरवाजा रात 11 बजे ग्रामीणों को राहत देने के लिए खुल गया। दरअसल, महासमुंद जिले के बागबहरा क्षेत्र के लालपुर में 75 साल से सरकारी जमीन पर काबिज ग्रामीणों का मकान तोड़ने प्रशासन […]

छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट का रात 11 बजे खुला दरवाज़ा और हुई सुनवाई, आज़ादी के पहले का है यह मामला

बिलासपुर : हाईकोर्ट का दरवाजा रात 11 बजे ग्रामीणों को राहत देने के लिए खुल गया। दरअसल, महासमुंद जिले के बागबहरा क्षेत्र के लालपुर में 75 साल से सरकारी जमीन पर काबिज ग्रामीणों का मकान तोड़ने प्रशासन देर शाम पहुंच गया और तोड़फोड़ शुरू कर दी थी। इस कार्यवाही को चुनौती देते हुए देर शाम 7.30 ग्रामीणों की तरफ से याचिका हाईकोर्ट में दायर कर अर्जेंट सुनवाई करने का आग्रह किया गया, जिस पर जस्टिस पी.सैम कोशी की सिंगल बेंच ने रात 11 बजे केस की सुनवाई की और प्रशासन की कार्यवाही पर रोक लगाने का आदेश दी। हाईकोर्ट के दखल के बाद ग्रामीणों को बड़ी राहत मिली है।

ग्रामीण फूलदास कोसरिया व योगेश की तरफ से अधिवक्ता वकार नैय्यर, शांतम अवस्थी, प्रांजल शुक्ला, फैज काजी व अभिषेक बंजारे ने गुरुवार की देर शाम हाईकोर्ट पहुंचे थे। उन्होंने रजिस्ट्री के अधिकारियों को बताया कि महासमुंद जिले के ग्रामीणों की याचिका पर अर्जेंट सुनवाई की आवश्यकता है। रजिस्ट्री के अफसरों ने उनकी बातों को सुनने के बाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी से मार्गदर्शन लिया। उनके निर्देश पर जस्टिस पी.सैम कोशी से संपर्क किया गया। उन्होंने केस को गंभीरता से लिया और याचिका स्वीकार करते हुए रात 10.45 बजे सुनवाई करने के निर्देश दिए।

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आजादी के पहले से काबिज हैं ग्रामीण उक्त जमीन

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याचिका की सुनवाई के दौरान वकीलों ने बताया कि याचिकाकर्ता आजादी के पहले यानी 75 साल से अधिक समय से सरकारी जमीन पर निवासरत हैं। इसके लिए उनसे साल 1982 से टैक्स भी लिया जा रहा है। फिर भी प्रशासन ने नोटिस देकर सिर्फ 24 घंटे का समय दिया और कब्जा खाली करने का फरमान जारी कर दिया। गुरुवार की शाम 5.30 बजे अधिकारी अतिक्रमण दस्ते को लेकर बेदखली की कार्रवाई करने पहुंच गए।

10 अगस्त को होगी मामले की अगली सुनवाई

याचिकाकर्ता के वकीलों ने यह भी बताया कि टैक्स देने के बाद भी तहसीलदार ने 8 जुलाई और CMO ने 12 जुलाई को नोटिस जारी किया। इसमें उन्हें 24 घंटे में कब्जा खाली करने के निर्देश दिए गए। इसके बाद भी जब गांव के लोगों ने कब्ज खाली नहीं किया तब प्रशासन की टीम पहुंची, फिर परेशान ग्रामीणों ने उनसे संपर्क किया। इसके बाद उन्हें न्याय के लिए रात में कोर्ट में अर्जेंट सुनवाई के लिए याचिका लगानी पड़ी। जस्टिस पीसैम कोशी ने प्रारंभिक सुनवाई के बाद प्रकरण में यथास्थिति बनाए रखने के आदेश दिए हैं। साथ ही 10 अगस्त को मामले की अगली सुनवाई करने के निर्देश दिए हैं।

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