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आखिर जमानत देने के बाद भी सिटी मजिस्ट्रेट पुजारी ने क्यों भेज दिया रितेश निखारे उर्फ मैडी को जेल?

आखिर जमानत देने के बाद भी सिटी मजिस्ट्रेट पुजारी ने क्यों भेज दिया रितेश निखारे उर्फ मैडी को जेल? बिलासपुर : हम आपको बताते चलें 7 तारिख रात्रि में पुलिस अधीक्षक बिलासपुर के निर्देश पर सघन चेकिंग अभियान चलाया गया था उस चेकिंग अभियान के दौरान रितेश निखारे उर्फ मैडी भी फस गया उसकी भी […]

आखिर जमानत देने के बाद भी सिटी मजिस्ट्रेट पुजारी ने क्यों भेज दिया रितेश निखारे उर्फ मैडी को जेल?
बिलासपुर : हम आपको बताते चलें 7 तारिख रात्रि में पुलिस अधीक्षक बिलासपुर के निर्देश पर सघन चेकिंग अभियान चलाया गया था उस चेकिंग अभियान के दौरान रितेश निखारे उर्फ मैडी भी फस गया उसकी भी गाड़ी की चेकिंग ली गई,उस चेकिंग के दौरान उसके गाडी में खेलने वाला एक बेस बाल मिल गया।उसके बाद उसे थाने में बैठा दिया गया और उसकी गाडी और मोबाइल को सिविल लाइंस पुलिस के द्वारा जप्ति बना दिया गया और उसे दूसरे दिन मानव अधिकार आयोग का उलंघन करते हुए हाथ में हथकड़ी लगाकर सिविल लाइंस थाने से जिला कलेक्टर कार्यालय सिटी मजिस्ट्रेट तक जूलूस निकालकर ले जाया गया। वहा पर उसे सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष पेश किया गया तब पहले कहा सिटी मजिस्ट्रेट पुजारी ने कहा बेसबाल गाडी में रखना गंभीर अपराध है। शायद उन्हें यह नहीं मालूम है ,यह खेलने की चीज है। उसके बाद उसे दस हजार के जमानत पर छोडने का आदेश दिया गया। उसके बाद दस हजार का ज़मानत दार पेश किया गया तब उन्होंने यह कहते हुए उसे रिमांड पर जेल भेज दिया की तुम लोगों के द्वारा जमानतदार पेश करने में देरी कर दिया जबकि आर्डर शीट पर कहीं भी टाइम लिमिट नहीं लिखा गया है की इतने समय पर जमानतदार पेश करना है।जब वकिलो के द्वारा पुछा गया की सर जमानत दर तो शुरू से यहां पर मौजूद है तो देरी किस बात की तब उन्होंने यह कहते हुए की ऊपर से आर्डर है उसे जेल भेजने का अब सोमवार को जमानतदार ले कर आना अभी मैं कुछ नहीं कर सकता। अब सवाल यह उठता है यह कांग्रेस के आपसी दो गुटों की लडाई से शुरू हुआ मामला है, और ऐसा कौन ऊपर वाला है जो जमानत नहीं देने के लिए सिटी मजिस्ट्रेट को फोन किया है यह अब जांच का विषय बन गया है आखिर जमानत देने के बाद जमानतदार उपस्थित रहते हुए जेल दाखिल करने का आदेश कैसे दिया सिटी मजिस्ट्रेट पुजारी साहब ने।यह तो एक तरह से जांच और संगीन अपराध की श्रेणी मे आता है कि मामूली शांति भंग की धारा जिसमें आपने आर्डर शीट पर लिखा है दस हजार के जमानत पर रिहा करने के लिए जमानतदार मौके पर मौजूद रहते हुए जेल दाखिल कर दिया गया। क्या यही है छत्तीसगढ़ सरकार की न्याय व्यवस्था।

आखिर यह पूरा मामला है क्या :-
हम आपको बता दें यह पुरा मामला सिविल लाइंस बिलासपुर से संबंधित है,इस थाने में जो न वो कम है, एक तरफ जिसके पास से कट्टा, चाकू, मिर्ची पाउडर मिलता है उसके ऊपर साधारण धारा लगाकर थाने से मुचलके पर छोड़ दिया जाता है । वही गंभीर अपराध 302 का आरोपी खुल्ले आम आज घुम रहा है उसकी आज तक गिरफ्तारी नही हुई है। पुलिस रिकार्ड में वह आरोपी फरार बताया जा रहा है जबकि वह शहर में खुले आम घुम रहा है। दूसरी तरफ वहीं रात को पुलिस अधीक्षक के आदेश पर संघन चेकिंग अभियान चलाया जाता है ।

और एक व्यक्ति के पास से चेकिंग के दौरान खेलने का बेसबाल मिलता है उसको धारा 151शांति भंग के तहत गिरफ्तार कर लिया जाता है। और उसका बकायदा सिविल लाइंस से लेकर सिटी मजिस्ट्रेट कार्यालय तक पैदल हथखडी लगाकर जुलूस भी निकाला जाता है।

क्या यह मानव अधिकार का उलंघन नहीं है। दूसरी तरफ देखिए जब उसे सिटी मजिस्ट्रेट के यहां पेश किया जाता है,तब उक्त व्यक्ति रितेश निखारे उर्फ मैडी का वकील सिटी मजिस्ट्रेट के समक्ष जमानत आवेदन पेश करते तब सिटी मजिस्ट्रेट महोदय क्या कहते हुए जमानत आवेदन को खारिज करते है की बेसबाल रखना या गाडी पर रखकर चलना गंभीर अपराध है। इसलिए जमानत आवेदन खारिज किया जाता है। इसका मतलब यह हुआ कि शासन को तत्काल बेसबाल खेलने पर प्रतिबंध लगा देना चाहिए और जो भी खेलते हुए पाया जायेगा उसके खिलाफ प्रतिबंधात्मक कार्यवाही किया जायेगा यह आदेश जारी कर देना चाहिए। इस तरह से चल रहा है छत्तीसगढ़ की कानून और पुलिस व्यवस्था अपराधी खुल्ले आम घुमता है, और जिसके पास से हथियार बरामद होता है उसके ऊपर मामूली धारा लगाकर थाने से मुचलका में छोड दिया जाता है और गाड़ी में बेसबाल मिलने पर उसे 151,मे जेल भेज दिया जाता है।