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दिल्ली की हवा बनी खतरा: 6 अस्पतालों में 2 लाख से अधिक सांस के मरीज
दिल्ली। दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण का असर अब अस्पतालों के आंकड़ों में भी साफ नजर आ रहा है। केंद्र सरकार ने राज्यसभा में स्वीकार किया है कि हवा में बढ़ते प्रदूषण के कारण सांस संबंधी बीमारियों में लगातार वृद्धि हो रही है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, पिछले तीन वर्षों में दिल्ली के छह प्रमुख केंद्रीय अस्पतालों की इमरजेंसी में 2,04,758 मरीज ऐसे पहुंचे, जिन्हें तेज सांस फूलना, खांसी और सीने में जकड़न जैसी एक्यूट रेस्पिरेट्री इन्फेक्शन (ARI) की शिकायत थी। इनमें से 30,425 मरीजों को भर्ती कर इलाज किया गया।
यह जानकारी राज्यसभा सांसद विक्रमजीत सिंह साहनी के सवाल के जवाब में दी गई। सरकार ने बताया कि वायु प्रदूषण विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों, दमा और हृदय रोग से पीड़ित लोगों के लिए खतरनाक है। धुएं, धूल और जहरीली गैसों के बढ़ते स्तर से सांस संबंधी समस्याएं तेजी से बढ़ती हैं।
सरकार ने यह भी बताया कि ICMR ने देश के पांच स्थानों पर एक मल्टी-साइट अध्ययन किया है, जिसमें यह देखा गया कि जब प्रदूषण का स्तर बढ़ता है, तो अस्पतालों में ARI के मरीजों की संख्या भी बढ़ जाती है। हालांकि, सरकार ने यह स्पष्ट किया कि यह अध्ययन प्रदूषण और ARI के बीच प्रत्यक्ष कारण-प्रभाव संबंध सिद्ध करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन संकेत चिंताजनक हैं।
विशेषज्ञों का कहना है कि अगर इस स्थिति पर समय रहते नियंत्रण नहीं हुआ, तो आने वाले समय में हालात और गंभीर हो सकते हैं। इसलिए सरकार और नागरिकों दोनों को प्रदूषण नियंत्रण के लिए कड़े कदम उठाने होंगे। साफ हवा ही स्वस्थ भविष्य की कुंजी है।
