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चुनाव में अकबर की करारी शिकस्त…… फिर भी अकबर के बीरबल नई सत्ता में हुए काबिज….

चुनाव में अकबर की करारी शिकस्त…… फिर भी अकबर के बीरबल नई सत्ता में हुए काबिज…. रायपुर : कांग्रेस के पांच वर्ष की सत्ता की चर्चा आज भी लोगो के जेहन में बरकरार है।कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता से उखाड़ने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी सारी ताकत लगा दी थी।केन्द्रीय मंत्रियों की […]

चुनाव में अकबर की करारी शिकस्त…… फिर भी अकबर के बीरबल नई सत्ता में हुए काबिज….
रायपुर : कांग्रेस के पांच वर्ष की सत्ता की चर्चा आज भी लोगो के जेहन में बरकरार है।कांग्रेस को प्रदेश की सत्ता से उखाड़ने के लिए भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने अपनी सारी ताकत लगा दी थी।केन्द्रीय मंत्रियों की फ़ौज प्रदेश में जोशखरोश के साथ लग गयी थी।भूपेश बघेल काफी बड़ी जीत के साथ सत्ता में आये थे।ऐसा महसूस होता था कि आने वाले चुनाव में भी कांग्रेस की सत्ता आएगी।पर भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व ने छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार बनाने के लिए जद्दोजहद शुरू कर ही दिया था।प्रदेश में भूपेश बघेल और उसके मंत्रिमंडल के भ्रष्टाचार को उजागर करने में भाजपा ने कोई कसर नही छोड़ी थी।54 सीट के साथ भाजपा ने अपनी धमाकेदार वापसी की पर जिस भ्रष्टाचार को लेकर नौकशाहो पर भाजपा ने आरोप लगाया था।अब उनकी चर्चा बड़े जोरो पर है।कांग्रेस की भूपेश सरकार में जिन नौकशाहो पर भाजपा के बडे नेताओ ने आरोप लगाया था।उन पर कार्यवाही होने की उम्मीद सभी को थी।पर सत्ता में भाजपा के आने के बाद 88 आईएएस अधिकारियों की ट्रांसफर सूची निकाली गई।जिस सूची को लेकर राजनैतिक गलियारों में खूब चर्चा अब तक बनी हुई है।कवर्धा के विधायक व भूपेश सरकार में वनमंत्री रहे अकबर को भाजपा के हिंदूवादी नेता विजय शर्मा ने अच्छी पटकनी दी।अकबर को लेकर भाजपा के नेताओ का आरोप भी काफी चर्चा में बना हुआ था।

अकबर पर वनविभाग सहित एनआरडीए में करोड़ो के घोटालों का आरोप भी लगता रहा।सूत्रों के अनुसार एनआरडीए में अकबर के भाई की कंपनी को 600 करोड़ से ज्यादा का टेंडर दिया गया।पूर्व की सरकार में नया रायपुर स्थित स्मार्ट सिटी सहित हाउसिंग बोर्ड व वन विभाग में मोहम्मद अकबर के परिवार का ही दबदबा रहा था।भूपेश बघेल सरकार में मोहम्मद अकबर अपने पसंदीदा अफसरों को हर जगह बैठालकर अपना काम सुनियोजित तरीके से करते रहे।

चाहे वन विभाग हो, चाहे रायपुर निगम कमिश्नर हो, चाहे राजधानी कलेक्टर हो चाहे हाउसिंग बोर्ड हो सभी जगह अपने पसंदीदा अफसरों की नियुक्ति करके अपने हित साधने का काम बेख़ौफ़ तरीक़े से किया गया था।सूत्रों के अनुसार अपने भाई की कम्पनी को खड़े करने का काम सारे नियमो को दरकिनार करके किया गया था।पिछली सरकार के समय मोहम्मद अकबर के विभागों की उच्च स्तरीय जांच अगर करवाई जाए तो बहुत बड़ा घोटाला सामने आएगा।सूत्रों के अनुसार बिना काम के ही अकबर के भाई की कंपनी को करोड़ो का भुगतान विभाग के द्वारा किया गया है।अकबर के मंत्रित्व काल मे उसके भाई सहित पूरे परिवार के सामने नतमस्तक रहता था।आरोप यह भी लगता रहा कि अकबर वनमंत्री रहते हुए वनग्रामो मे बहुत सी मस्जिदों का निर्माण भी करवाया था।

हाऊसिंग बोर्ड में पदस्त हेमंत वर्मा के ऊपर भी कई आरोप लगता रहा। मोहम्मद अकबर के नजदीकी होने का भी बहुत फायदा इस अधिकारी को मिलता रहा।मोहम्मद अकबर के परिवार के काम को आगे बढ़ाने का काम इस अधिकारी के द्वारा नियमो की धज्जियां उड़ाते हुए की गई थी।हाउसिंग बोर्ड के खेल के साथ ही इनको नया रायपुर स्मार्ट सिटी में भी प्रतिनियुक्ति दी गयी।इसी विभाग में बिना काम के भी अकबर के भाई की कंपनी को भुगतान करने का आरोप भाजपा के नेताओ ने लगाया भी है।सरकार बदलने के बाद भी अकबर के दरबारी अफसर मजा लूट रहे है।

कुल मिलाकर “सैया भये कोतवाल तो डर काहे का” इसी तर्ज पर अकबर का पूरा परिवार काम करता रहा।प्रदेश के बहुत से नौकरशाह अकबर के दरबार मे हाजिरी लगाते रहे और बड़ा भुगतान भी करते रहे।प्रदेश में फैले भ्रष्टाचार से अकबर को कवर्धा से करारी हार तो विजय शर्मा से मिल गयी पर अकबर के सारे बीरबल भाजपा की नई सरकार में अपने अपने जगहों पर फिर से विराजित हो गए।हाउसिंग बोर्ड,एनआरडीए सहित परिवहन में नई पदस्थापना की चर्चा जोरों पर बनी हुई है।अकबर हार के बाद भी कही जीत गए।आखिर अकबर के सारे बीरबल फिर मलाईदार जगहो पर धमक गए।सूत्रों के अनुसार साय सरकार की तबादले की सूची से भाजपा के संगठन सहित संघ के बड़े नेता भी नाराज बताये जा रहे है।अब इस बड़े फेरबदल में किसका खेल था इसकी सुगबुगाहट बनी हुई है।