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धुंधलाती आंखों में न्याय की उम्मीद..मैं कमला देवी, उम्र 60 साल... 2009 में पति की मौत हुई, 16 साल बाद भी हक की पेंशन के लिए लड़ने को मजबूर
उत्तरप्रदेश। बरेली की निवासी कमला देवी, स्वर्गीय लेखपाल जमुना प्रसाद की पत्नी, पिछले 16 साल से अपने पति की जगह बेटे को नौकरी और खुद को पेंशन दिलवाने के लिए दर-दर भटक रही हैं। उनका आरोप है कि अधिकारियों की कथित मिलीभगत के कारण एक बर्खास्त लेखपाल ने उनके पति की जगह नौकरी की और पेंशन का लाभ उठाया, जबकि उनका परिवार न्याय के लिए तरसता रहा। अब उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस मामले में दखल दिया है, जिससे कमला देवी को न्याय की नई उम्मीद मिली है।
दर्द भरी कहानी: क्यों भटक रही हैं कमला देवी?
कमला देवी की यह लड़ाई 2009 में उनके पति लेखपाल जमुना प्रसाद के निधन के बाद शुरू हुई। उनके पति 1980 में नियुक्त हुए थे और 1985 से स्वास्थ्य कारणों से छुट्टी पर थे। उनका तबादला बीसलपुर तहसील में हुआ था, लेकिन वे कभी कार्यभार ग्रहण नहीं कर पाए। कमला देवी का आरोप है कि एक और लेखपाल, जिसका नाम भी जमुना प्रसाद था और जो पहले से बर्खास्त था, ने अधिकारियों की मिलीभगत से उनके पति की जगह पर नौकरी की। उन्होंने 60 वर्ष की आयु तक काम किया और सेवानिवृत्त होने के बाद पेंशन भी ली। उनकी मृत्यु के बाद उनकी पत्नी को आज भी वह पेंशन मिल रही है, जिसे कमला देवी एक बड़ा वित्तीय घोटाला बताती हैं। कमला देवी के अनुसार, उनके अपने पति स्वस्थ होने के बाद भी नौकरी पर नहीं लौट पाए और न्याय के लिए भटकते हुए ही 4 अक्टूबर 2009 को उन्होंने अंतिम सांस ली।
इस अमानवीय स्थिति में कमला देवी ने अपने बेटे को पति की जगह अनुकंपा नियुक्ति और खुद को पेंशन दिलाने के लिए कई बार अधिकारियों के चक्कर काटे, लेकिन कहीं सुनवाई नहीं हुई। उन्हें न तो बेटे को नौकरी मिली और न ही उन्हें पेंशन का लाभ।
न्याय की लंबी लड़ाई: न्यायालय से लेकर आयोग तक
कमला देवी ने 2016 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में एक रिट याचिका दायर की थी। इस पर जिलाधिकारी पीलीभीत ने 25 जुलाई 2016 को अनुकंपा नियुक्ति का आवेदन सरकारी सेवक की मृत्यु के 5 साल के भीतर न होने के आधार पर अस्वीकार कर दिया। कमला देवी ने हार नहीं मानी और 2017 में एक और रिट याचिका (संख्या 50107/2017) इलाहाबाद उच्च न्यायालय में दायर की, जो आज भी विचाराधीन है। इस मामले में 7 जनवरी 2022 को प्रतिशपथ पत्र भी दाखिल किया जा चुका है।
हाल ही में उत्तर प्रदेश राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने कमला देवी के 1 मार्च 2025 के शिकायत पत्र का संज्ञान लिया है। आयोग ने जिलाधिकारी पीलीभीत से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है, जिसकी एक प्रति कमला देवी को भी भेजी गई है। आयोग ने कमला देवी को 26 जून 2025 तक अपना लिखित बयान या उत्तर प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है, अन्यथा उनकी शिकायत खारिज भी हो सकती है।
विधान परिषद के माननीय सदस्य श्री भीमराव अम्बेडकर ने भी मृतक के पुत्र को अनुकंपा नियुक्ति दिलाने के संबंध में सवाल उठाया है। शासन को भेजी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि माननीय उच्च न्यायालय के अंतिम आदेश के बाद ही इस मामले में कोई आगे की कार्यवाही संभव होगी।
कमला देवी और उनके परिवार को अब माननीय उच्च न्यायालय के फैसले का बेसब्री से इंतजार है। उन्हें उम्मीद है कि सालों के संघर्ष के बाद उन्हें आखिरकार न्याय मिलेगा। यह मामला दर्शाता है कि कैसे प्रशासनिक लापरवाही और अनदेखी एक परिवार को वर्षों तक पीड़ा दे सकती है। कमला देवी का संघर्ष यह उम्मीद जगाता है कि न्याय भले ही देर से मिले, लेकिन मिलेगा जरूर।
