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बिलासपुर और छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से खुलेआम बदमाश अपना दशहत फैला रहे हैं. इससे ये साबित होता है कि न्यायधानी और पुरे छत्तीसगढ़ कि क़ानूनी व्यवस्था कमजोर हो चुकी है, जो कि आम जनमानस के लिए चिंता का विषय है……. कहीं ऐसा तो नहीं एक बार

बिलासपुर और छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से खुलेआम बदमाश अपना दशहत फैला रहे हैं. इससे ये साबित होता है कि न्यायधानी और पुरे छत्तीसगढ़ कि क़ानूनी व्यवस्था कमजोर हो चुकी है, जो कि आम जनमानस के लिए चिंता का विषय है……. कहीं ऐसा तो नहीं एक बार फिर से पत्रकार सुशील […]

बिलासपुर और छत्तीसगढ़ में पिछले कुछ महीनों से जिस तरह से खुलेआम बदमाश अपना दशहत फैला रहे हैं. इससे ये साबित होता है कि न्यायधानी और पुरे छत्तीसगढ़ कि क़ानूनी व्यवस्था कमजोर हो चुकी है, जो कि आम जनमानस के लिए चिंता का विषय है……. कहीं ऐसा तो नहीं एक बार फिर से पत्रकार सुशील पाठक हत्याकांड दोहराने की साज़िश तो नहीं
बिलासपुर : अब आप लोग बोलेंगे कि पुलिस तो रोज कार्यवाही कर रही है, तो उसका जवाब है, उनकी ड्यूटी है, तो करेंगे ही, पर प्रश्न यह भी उठता है कि बावजूद इसके बदमाश खुलेआम बेख़ौफ़ होकर घटनाओं को प्रतिदिन अंजाम दे रहे हैं.
बदमाश कभी थाने में घुसकर गाली-गलौज करते हैं, तो कभी किसी का अपहरण कर उसके साथ मारपीट करते हैं, तो कभी चाकूबाजी की घटना को अंजाम देते हैं, तो कभी किसी को सड़क पर दौड़ा-दौड़ा कर पीटते हैं और इस तरह के सैकड़ों मामले हो चुके हैं। जब पत्रकार बदमाशों के काले करतूतों को उजागर करता है तो उन्हें भी धमकी मिलती है। अब आप लोगों को समझ में आ गया होगा कि जिस क्षेत्र में पत्रकार सेफ नहीं है, तो उस क्षेत्र का लॉ एंड आर्डर कैसा होगा…..
यहाँ हम आपको एक पत्रकार के साथ हुई घटना के बारे में बताते हैं, नीरज शुक्ला नाम के पत्रकार के बताए अनुसार, वो मंगलवार की रात शहर से अपने राजस्व कॉलोनी स्थित निवास वापस लौट रहे थे इसी दौरान 2 दुपहिया वाहन में सवार 4 लोगों ने उनका पीछा किया और घर के सामने स्थित गली के पास जेेब से चाकू निकालकर हमला करने का प्रयास किया.अज्ञात लोगों के इस हमले से नीरज शुक्ला ने जैसे-तैसे भाग कर अपनी जान बचाई और घटनास्थल पर उनका एक्टिवा वाहन खड़ा था जिस पर खीझ उतारते हुए बदमाशों ने वाहन में भी तोड़फोड़ कर दी. रात में घटना की एफआईआर सरकंडा थाने में दर्ज कराई गई है. गली के सामने लगे सीसीटीवी कैमरे में यह वारदात रिकॉर्ड हो गई है।
जब इस घटना को निष्पक्ष ढंग से वरिष्ठ पत्रकार दिलीप अग्रवाल ने अपने न्यूज पोर्टल डंकाराम में लिखा तो खबर वायरल होने के बाद उन्हें शहर अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक राजेन्द्र जायसवाल ने BSP Police Press Release ग्रुप से रिमूव कर दिया। इससे समझ में आता है कि इस पुलिस अधिकारी और पुलिस विभाग को निष्पक्ष पत्रकारिता करने वाले पत्रकार पसंद नहीं है अगर होते तो दिलीप अग्रवाल को ग्रुप से रिमूव नहीं करते। इसका मतलब साफ हो गया है कि पुलिस खुद नहीं चाहती की निष्पक्ष पत्रकारिता हो।