DGP अशोक जुनेजा करेंगे Continue, Extension का प्रस्ताव जाएगा पहली बार भारत सरकार को जल्द मिलेगी मंजूरी..

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रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी नियुक्ति में एक बड़ा अपडेट आया है। अशोक जुनेजा को छह महीने का एक्सटेंशन मिलने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार कल प्रस्ताव भेजने जा रही है भारत सरकार को डीजीपी के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजा जाएगा। चूकि कल लास्ट वर्किंग डे है, इसके बाद दो दिन शनिवार, रविवार अवकाश […]



रायपुर। छत्तीसगढ़ के डीजीपी नियुक्ति में एक बड़ा अपडेट आया है। अशोक जुनेजा को छह महीने का एक्सटेंशन मिलने जा रहा है। इसके लिए राज्य सरकार कल प्रस्ताव भेजने जा रही है भारत सरकार को डीजीपी के एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजा जाएगा। चूकि कल लास्ट वर्किंग डे है, इसके बाद दो दिन शनिवार, रविवार अवकाश है। अशोक जुनेजा का 4 अगस्त को रिटायरमेंट है। रविवार उनका आखिरी दिन होगा। मगर इससे पहले नया अपडेट उनके एक्सटेंशन का आ गया है। सूत्रों का कहना है कि भारत सरकार का गृह मंत्रालय में अवकाश नहीं होता, वहां काम चलता रहता है। याद होगा, आईजी अमरेश मिश्रा को डेपुटेशन समाप्त कर छत्तीसगढ़ भेजने का आदेश रविवार को निकला था। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने केंद्रीय गृह मंत्री से सुबह बात की थी और देर शाम अमरेश का आदेश निकल गया था।
जानकारों का यह भी कहना है कि ऐसे में जब दो दिन बाद डीजीपी का कार्यकाल समाप्त हो रहा है, बिना भारत सरकार की हरी झंडी के राज्य सरकार प्रस्ताव नहीं भेजेगी। ऐसा समझा जाता है कि पिछले सप्ताह सरकार दिल्ली में थी। वहां इस संदर्भ में बात हुई होगी। इसके बाद दिल्ली से कोई मैसेज आया होगा, तभी एक्सटेंशन का प्रस्ताव भेजने का फैसला हुआ होगा। सूत्रों का कहना है कि डीजीपी अशोक जुनेजा के एक्सटेंशन का आदेश कल शाम तक भी आ सकता है। क्योंकि, अमित शाह का क्लियरेंस मिलने के बाद आजकल वहां फाइलें रुकती नहीं।

एक्सटेंशन का पहला केस :-

छत्तीसगढ़ बनने के बाद अभी तक न तो किसी डीजीपी को एक्सटेंशन हुआ है और न ही चीफ सिकरेट्री का। अशोक जुनेजा पहले डीजीपी होंगे, जिन्हें छह महीने का एक्सटेंशन मिलने जा रहा है। इससे पहले दो चीफ सिकरेट्री को एक्सटेंशन देने का प्रस्ताव जरूर गया था मगर भारत सरकार ने मना कर दिया।

नक्सल मोर्च पर बड़ी कामयाबी :-

नक्सल मोर्चे पर छत्तीसगढ़ में जिस तरह कामयाबी मिली है, उससे इसमें कोई संशय नहीं था कि अगर राज्य से प्रस्ताव जाएगा तो भारत सरकार मना कर दें। क्योंकि, पीएम नरेंद्र मोदी से लेकर केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों के खात्मे को जमकर भुनाया।

छत्तीसगढ़ के डीजीपी अशोक जुनेजा का कार्यकाल 4 अगस्त को कंप्लीट हो जाएगा। याने उस दिन शाम तक सरकार को नए डीजीपी के नाम का ऐलान करना होगा। इस समय प्रदेश में दो ही डीजी हैं। अरुण गौतम और हिमांशु गुप्ता। हालांकि, जुनेजा के बाद सीनियरिटी में सबसे उपर हैं पवनदेव। 92 बैच में पहले नंबर पर पवनदेव आते हैं, उनके बाद अरुणदेव गौतम। 93 बैच में कोई आईपीएस नहीं है। इसके बाद 94 बैच में हिमांशु गुप्ता सबसे उपर हैं। डीपीसी मेंं पवनदेव का लिफाफा बंद कर दिया गया था। इस शर्त के साथ कि उनके खिलाफ जांच कंप्लीट हो जाए, तो प्रमोशन का लिफाफा खोल दिया जाए। सरकार ने चूकि जांच समाप्त कर दिया, इसलिए गृह विभाग ने उनका लिफाफा खोल दिया। इसके बाद आदेश जारी होने के लिए फाइल उपर गई, सो वहां से लौटी नहीं। अगर आजकल में पवनदेव का आदेश नहीं निकलेगा तो फिर दो ही नाम के पेनल यूपीएससी को भेजे जाएंगे। अरुण गौतम और हिमांशु गुप्ता का दरअसल, एमएचए ने नियमों में बदलाव किया है। अब डीजी रैंक के अफसरों के नाम ही डीजीपी के लिए पेनल में भेजे जाएंगे। हालांकि, पहले 30 साल की सर्विस होना अनिवार्य था। उसके बाद छोटे राज्यों में कैडर की कमी को देखते इसे 25 साल किया गया। मगर अब डीजी होना अनिवार्य कर दिया गया है। सो, इस समय डीजी दो ही हैं। अगर 25 साल की सर्विस वाला नियम होता तो प्रदीप गुप्ता से लेकर दीपांशु काबरा तक का नाम इसमें जुड़ जाता। याने छह नामों को पेनल जाता। सरकार की पहले इसी तरह की तैयारी थी। मगर अब अगर पवनदेव के नाम को हरी झंडी नहीं मिली तो दो ही नामों को पेनल दिल्ली भेजा जाएगा।
चूकि अभी पैनल भेजा जाना है। इसमें भी दो-एक दिन का वक्त लगेगा। मगर अब समय है नहीं। तीन दिन बाद चार अगस्त को डीजीपी अशोक जुनेजा रिटायर हो जाएंगे। सो, विष्णुदेव साय सरकार को प्रभारी डीजीपी अपाइंट करना होगा। यूपीएससी को पेनल भेजने का नियम आने के बाद लगभग सभी राज्यों में ऐसा ही हो रहा। चूकि पेनल क्लियर होने में टाईम लगता है सो तब तक के लिए प्रभारी डीजीपी अपाइंट कर दिया जाता है। जब यूपीएससी से क्लियर होकर एमएचए से आदेश नहीं आ जाता, तब तक पूर्णकालिक डीजीपी की नियुक्ति नहीं होती। अशोक जुनेजा के साथ भी ऐसा ही हुआ था। वे सितंबर 2021 में प्रभारी डीजीपी बन गए थे। मगर उनका पूर्णकालिक डीजीपी का आदेश निकला 5 अगस्त 2022 को बहरहाल, डीजीपी के लिए दो ही दावेदार मैदान में हैं। सो अरुणदेव गौतम और हिमांशु गुप्ता में से किसी को सरकार डीजीपी अपाइंट करेगी। और यह भी सही है कि जो प्रभारी डीजीपी बनेगा, सरकार उसे ही कंटीन्यू करेगी। क्योंकि, सरकार उसी हिसाब से प्रभारी डीजीपी बनाती है, जिसे आगे कंटीन्यू करना होता है। क्योंकि, यूपीएससी से दोनों नामों का पेनल एप्रूव्ह होकर आ जाएगा, इसमें कोई संशय नहीं। वैसे तीन नामों का पेनल फायनल कर यूपीएससी भेजता है। मगर इस समय दो ही नाम है। यूपीएससी द्वारा फायनल किए गए पेनल में से किसी एक नाम पर सरकार मुहर लगाती है। इसलिए, किसी को प्रभारी डीजीपी बनाकर, उसे हटाना उचित प्रतीत नहीं होता। सो, जिसे कंटीन्यू करना होता है, उसे ही प्रभारी डीजीपी बनाया जाता है।

जानिये कैसे होता है डीजीपी का सलेक्शन :-

राज्‍यों के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) चयन की एक निधार्रित प्रक्रिया है। इसमें राज्‍य के साथ ही संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) और केंद्रीय गृह मंत्रालय की भी भूमिका रहती है।

राज्य सरकार यूपीएससी को डीजीपी नियुक्ति के लिए नामों का पेनल भेजती है। इसके बाद फिर यूपीएससी में मीटिंग होती है। इसमें यूपीएससी चेयरमैन खासतौर से मौजूद रहते हैं। किसी विषम परिस्थितियों की वजह से वे नहीं आ पाए तो उनके बदले में कोई मेम्बर होता है। इसके अलावा भारत सरकार के मिनिस्ट्री ऑफ होम का कोई नामिनी, मसलन ज्वाइंट सिकरेट्री लेवल का कोई अफसर होता है। और संबंधित राज्य के चीफ सिकरेट्री और वर्तमान डीजीपी। ये चारों मिलकर गुण-दोष के आधार पर पेनल तैयार करते हैं।

डीजीपी पद के लिए योग्‍यता

यद्यपि डीजीपी बनने के लिए 30 बरस की सेवा जरूरी है। इससे पहले स्पेशल केस में एकाध साल पहले भारत सरकार डीजीपी बनाने की अनुमति दे सकती है। छोटे राज्यों में जहां आईपीएस का कैडर छोटा होता है, सो वहां अफसर मिल नहीं पाते। इसको देखते भारत सरकार ने डीजीपी के लिए 30 साल की सर्विस की जगह 25 साल कर दिया है। मगर बड़े राज्यों के लिए यह प्रासंगिक नहीं है। क्योंकि, जब 30 साल की सेवा वाले उपर में कई अफसर हैं तो फिर नीचे के अफसर को कैसे डीजीपी बनाया जा सकता है।

अशोक जुनेजा IPS का जीवन परिचय :-

अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ कैडर के 1989 बैच के आईपीएस हैं। मूलतः वे दिल्ली के रहने वाले हैं। एमएससी,एमटेक करने के बाद यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बने हैं। अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ के लगभग सभी प्रमुख पदों पर रह चुके हैं। वें केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में सेवा देने के अलावा कॉमनवेल्थ गेम्स के सुरक्षा का जिम्मा भी सम्हाल चुके हैं। वर्तमान में अशोक जुनेजा नवंबर 21 से छत्तीसगढ़ के डीजीपी हैं। अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाने के लिए राज्य सरकार ने 5 वरिष्ठ आईपीएस अफसरों को सुपरशीड किया हैं।

जन्म और शिक्षा:–

अशोक जुनेजा छत्तीसगढ़ कैडर के 1989 बैच के आईपीएस अधिकारी हैं। मूलतः वे दिल्ली के रहने वाले हैं। उनका जन्म 13 जून 1963 को हुआ है। एमएससी,एमटेक की डिग्री लेने के बाद यूपीएससी क्रैक कर आईपीएस बने हैं।

प्रोफेशनल कैरियर:–

अशोक जुनेजा ने 21 अगस्त 1989 को आईपीएस की सर्विस ज्वाइन की। वे पहले मध्यप्रदेश कैडर के आईपीएस थे। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद उन्होंने छत्तीसगढ़ कैडर चुन लिया। छत्तीसगढ़ राज्य में अशोक जुनेजा रायगढ़ जिले में व बिलासपुर एडिशनल एसपी रहने के अलावा बिलासपुर में एसपी रहें हैं। इसके अलावा दुर्ग और राजधानी रायपुर के एसएसपी भी रहे हैं। बिलासपुर संभाग व दुर्ग संभाग के आईजी भी रहे हैं। मंत्रालय में गृह सचिव की जवाबदारी भी सम्हाली हैं।
अशोक जुनेजा ढाई साल तक प्रदेश के खुफिया चीफ भी रहें हैं। परिवहन विभाग में अतिरिक्त आयुक्त रह चुके हैं। खेल संचालक की जवाबदारी भी अशोक जुनेजा निभा चुके हैं। इसके अलावा अशोक जुनेजा एडीजी नक्सल ऑपरेशन के अलावा छत्तीसगढ़ सशस्त्र बल और एसटीएफ का प्रभार सम्हाल चुके हैं। राज्य पुलिस अकादमी के महानिदेशक भी अशोक जुनेजा रह चुके हैं। प्रशासन, ट्रेनिंग विभाग भी अशोक जुनेजा संभाल चुके हैं। केंद्रीय प्रतिनियुक्ति में 2 साल तक दिल्ली नारकोटिक्स विभाग में सेवा दे चुके हैं। कॉमनवेल्थ गेम्स के सिक्योरिटी प्रमुख की जवाबदारी भीअशोक जुनेजा निभा चुके हैं। 11 नवंबर 2021 को तत्कालीन डीजीपी डीएम अवस्थी को हटाकर अशोक जुनेजा को छत्तीसगढ़ का प्रभारी डीजीपी बनाया गया हैं।
अशोक जुनेजा को डीजीपी बनाने के लिए उनसे सीनियर पांच आईपीएस को सुपरशीड किया गया। प्रभारी डीजीपी बनाने के बाद पूर्णकालिक डीजीपी बनाने के लिए यूपीएससी को प्रस्ताव और डीजीपी के नामों का पैनल सरकार ने भेजा। करीबन 10 माह बाद यूपीएससी की अनुशंसा आई और राज्य सरकार ने उन्हें 5 अगस्त 2022 को पूर्णकालिक डीजीपी बनाने का आदेश जारी किया।

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