'जमीन घोटाला': पटवारियों की मिलीभगत से सरकारी जमीनें गायब सैकड़ों एकड़ जमीन की हो गई रजिस्ट्री, ग्रामीणों का फूटा गुस्सा, पहुंचे कलेक्टर के दरबार

बिलासपुर। ग्रामीण क्षेत्रों में भूमाफिया पूरी तरह सक्रिय हो गए हैं और पटवारियों को अपने इशारों पर नचाकर धड़ाधड़ सरकारी जमीनों की रजिस्ट्री करवा रहे हैं। ऐसा ही एक सनसनीखेज मामला सामने आया है, जहां ग्रामीणों ने सीधे कलेक्टर से शिकायत की है। आरोप है कि एक पटवारी ने पहले सरकारी जमीन को एक व्यक्ति के नाम पर चढ़ाया और फिर उसे तुरंत तीसरे व्यक्ति को बेच दिया। इस खेल से अब ग्रामीणों में भारी आक्रोश है।

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छत्तीसगढ़ राज्य बनने के बाद निजी और सरकारी जमीन पर बड़े पैमाने पर गड़बड़ी की जा रही है। अधिकारियों की मिली भगत से अभी तक हजारों एकड़ सरकारी जमीन निजी लोगों के हाथ में पहुंच गई है। सरकारी जमीन हथियाने में शहरी और ग्रामीण दोनों तरह की जमीन शामिल है। भूमाफिया जंगल की जमीन को भी नहीं छोड़ रहे हैं। बड़ी चालाकी से पहले सरकारी जमीन को किसी के नाम पर चढ़ा दिया जा रहा है फिर उस जमीन को असली भूमाफिया के नाम पर रजिस्ट्री करा दिया जा रहा है। इसके बाद भूमाफिया कब्जा करने पहुंच रहे हैं। जब गांव के लोग आपत्ति कर रहे हैं तो रजिस्ट्री के दस्तावेज दिखाकर मुंह बंद करा दिया जा रहा है। जमीन की हेराफेरी में पटवारी, RI और नायब तहसीलदार सीधे शामिल हैं। जबकि ऊपर के अधिकारी उन्हें संरक्षित कर रहे हैं। ऐसा ही एक मामला गुरुवार को कलेक्टर के समक्ष आया है। जिसमें ग्रामीणों ने बताया कि देंदुआ ग्राम पंचायत की सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन बिक चुकी है। ग्रामीणों का आरोप है कि जमीन बेचने के मामले गांव का पटवारी रेवती रमन पैकरा सीधे शामिल है। अभी 15 दिन पहले अनिल जांगड़े नाम के एक व्यक्ति ने रजिस्ट्री किया है। जबकि वह जमीन वन भूमि है। वह जमीन अनिल जांगड़े के नाम पर कैसे आया और नाम में चढ़ते ही उसे बेच भी दिया। ग्रामीणों ने बताया कि पटवारी अभी तक गांव के सैकड़ों एकड़ सरकारी जमीन को निजी व्यक्तियों के नाम पर चढ़ा चुका है। यही स्थिति नगचुआ की है। यहां भी पटवारी भूमाफियों के साथ मिलकर सैकड़ों एकड़ सरकारी और वनभूमि भूमाफियों के नाम पर चढ़ाया जा चुका है।

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ग्रामीणों ने कलेक्टर को चेतावनी दी है कि यदि प्रशासन ने इस गंभीर मामले पर तुरंत सख्त कार्रवाई नहीं की, तो गांवों में सरकारी जमीन ढूंढने से भी नहीं मिलेगी। देंदुआ ग्राम पंचायत के अलावा नगचुआ में भी पटवारी भूमाफियाओं के साथ मिलकर सैकड़ों एकड़ सरकारी और वनभूमि को निजी व्यक्तियों के नाम पर चढ़ा चुके हैं। इस पूरे खेल में पटवारी रेवती रमन पैकरा पर सीधा आरोप है, जिसने हाल ही में एक वन भूमि को अनिल जांगड़े के नाम कर दिया और फिर तुरंत उसकी रजिस्ट्री भी करवा दी। यह साफ दर्शाता है कि कैसे पटवारी, आरआई और नायब तहसीलदार की मिलीभगत से सरकारी जमीनें बेची जा रही हैं, और बड़े अधिकारी उन्हें संरक्षण दे रहे हैं। अब देखना यह होगा कि कलेक्टर इस बड़े 'सरकारी जमीन घोटाले' पर क्या कार्रवाई करते हैं और क्या ग्रामीणों को न्याय मिल पाता है।

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