राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : शराब के नशे में डूबी सरकार,छत्तीसगढ़ में दिल्ली से बड़ा शराब घोटाला, “साहब” के धंधे पर ED का शिकंजा, 4 सालो का हिसाब-किताब कच्चे कागजो में,कई संदेही भूमिगत….

राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : शराब के नशे में डूबी सरकार,छत्तीसगढ़ में दिल्ली से बड़ा शराब घोटाला, “साहब” के धंधे पर ED का शिकंजा, 4 सालो का हिसाब-किताब कच्चे कागजो में,कई संदेही भूमिगत…. रायपुर / दिल्ली : दिल्ली के शराब घोटाले की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी एक बड़ा शराब घोटाला सामने आया है। राज्य […]

सभी फोटो सोशल मीडिया से प्राप्त

राष्ट्रीय जगत विजन छत्तीसगढ़ : शराब के नशे में डूबी सरकार,छत्तीसगढ़ में दिल्ली से बड़ा शराब घोटाला, “साहब” के धंधे पर ED का शिकंजा, 4 सालो का हिसाब-किताब कच्चे कागजो में,कई संदेही भूमिगत….


रायपुर / दिल्ली : दिल्ली के शराब घोटाले की तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी एक बड़ा शराब घोटाला सामने आया है। राज्य में सालाना 20 हजार करोड़ से ज्यादा के शराब कारोबार की जड़ें रायपुर से लेकर झारखण्ड तक फैली बताई जाती है। सूत्रों के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय रायपुर को जिन संदेहियों की तलाश है,उनमे से ज्यादातर भूमिगत हो गए है। बताते है कि सत्ता के शीर्ष की अगुवाई में उनके खास समर्थको ने शराब कारोबार पर एकाधिकार प्राप्त कर लिया था। इसके चलते “साहब” का धंधा राजधानी रायपुर से लेकर झारखण्ड की राजधानी रांची तक अपनी अच्छी खासी पैठ बना चुका था।

बताया जा रहा है कि जिस तर्ज पर बिहार और झारखंड जैसे राज्यों में घोटालो को अंजाम दिया जाता है,उसी तर्ज पर छत्तीसगढ़ में भी सरकारी सरंक्षण में आर्थिक अपराधों का अंबार लग गया है। बताया जा रहा है कि आबकारी राजस्व के रूप में अर्जित होने वाली मोटी रकम लोक सेवको के साथ मिलकर निजी व्यक्तियों ने अपनी तिजोरी में डाल लिया। जबकि राज्य में शराब के ठेको और दुकानों पर सरकारी नियंत्रण है। बताते है कि राज्य में शराब की बिक्री सरकारी मदिरा दुकानों से होती है,लेकिन इसके उत्पादन सयंत्रो “डिस्लरी” पर निजी व्यक्तियों का नियंत्रण था। ये व्यक्ति सत्ता के शीर्ष के प्रतिनिधि के तौर पर शराब कारोबार में नए भागीदारों के रूप में शामिल हुए थे।

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बताया जाता है कि आउटसोर्सिंग कर्मियों के जरिए बड़े पैमाने पर शराब की सुनियोजित तस्करी की जा रही थी। सरकारी आबकारी मदिरा दुकानों से रोजाना इकट्ठा होने वाली रकम सरकारी तिजोरी में निर्धारित समय पर जमा कराने के बजाए मनमाने तरीके से उसका इस्तेमाल किया जा रहा था।

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सूत्रों के मुताबिक आबकारी राजस्व का एक हिस्सा ही शासन के खाते में जमा कराया जाता था। जबकि,निजी आउटसोर्सिंग कंपनियां नगदी के तौर पर रोजाना करोडो रूपए इधर से उधर कर रही थी। बताते है कि सरकारी राजस्व की बंदरबांट का काला चिट्ठा सामने रख पूछताछ होने से संदेहियों की मुश्किलें बढ़ गई है,घोटाले के उजागर होते ही,वे भूमिगत हो गए है।

सूत्रों के मुताबिक राज्य के “डिस्लरी” कारोबार को भी सत्ता के शीर्ष के सहयोग से संचालित किया जा रहा था। उनके समर्थको ने शराब के उत्पादन और वितरण पर खुद का नियंत्रण रखा था। इसके लिए सरकारी होलोग्राम का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल हो रहा था। यह भी बताया जा रहा है कि चुनिंदा एक ही डिस्लरी में लगभग सभी नामचीन-ब्रांडेड कंपनियों की बोतल बंद होती थी। अंदेशा जाहिर किया जा रहा है कि नकली शराब का कारोबार भी जोरो पर था। एजेंसियां शराब उत्पादन और निकासी का रिकॉर्ड खंगाल रही है।

यह भी बताया जा रहा है कि शराब कारोबार से जुड़े लगभग सभी उद्योगपतियों ने ED को अपनी माली हालत से रूबरू करा दिया है। बताते है कि डिस्लरी कारोबारियों को सिर्फ उनकी युनिट का खर्चा मिलता था,जबकि मुनाफे की रकम उनके प्रतिनिधियों के हाथो में जाती थी। आबकारी विभाग के कर्ताधर्ताओ से लम्बी पूछताछ का दौर जारी है। बताते है कि आबकारी आयुक्त और सचिव समेत नामी गिरामी शराब कंपनियों से भी पूछताछ की जा रही है,जबकि अवैध कारोबार के लिए दबाव बनाने वाले अपराधियों की शिनाख्ती कराई जा रही है।

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बताते है कि शराब कारोबारियों पर अवैध वसूली के लिए दबाव बनाने वाले कई सरकारी अधिकारीयों से पूछताछ की जा रही है। इसमें सचिव एपी त्रिपाठी का नाम प्रमुख रूप से शामिल है। एपी त्रिपाठी को झारखंड सरकार ने राज्य की शराब नीति का सलाहकार बनाया था। लेकिन वहां भी शराब के वैध-अवैध कारोबार का खुलासा होने पर झारखंड सरकार ने त्रिपाठी से किए गए अपने सभी करार रद्द कर दिए थे।

छत्तीसगढ़ में सालाना शराब का वैध-अवैध कारोबार 20 हजार करोड़ से ज्यादा का है। इसके चलते ही मुख्यमंत्री बघेल शराबबंदी को लेकर पसोपेश में बताए जाते है। सूत्रों के मुताबिक,एपी त्रिपाठी और सौरभ सिंघानिया नामक संदेहियों से हुई पूछताछ के बाद अखिल भारतीय सेवाओं के कई अधिकारीयों की मुश्किलें बढ़ गई है।

बताते है कि राज्य के 5 बड़े जिलों रायपुर,दुर्ग,बिलासपुर,रायगढ़ और कोरबा में पदस्थ कलेक्टरो से भी आबकारी घोटाले को लेकर पूछताछ हो सकती है। उच्च प्रशासनिक और राजनैतिक प्रभाव के चलते कई जिलों के कलेक्टर शासन द्वारा निर्धारित आबकारी नीति का पालन ना करते हुए प्राइवेट लोगो के हाथो की कठपुतली बने हुए थे।

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सूत्र बताते है कि आबकारी राजस्व को लेकर अमानत में खयानत जैसी स्थिति लगभग डेढ़ दर्जन से ज्यादा जिलों में पाई गई है,फिलहाल जांच-पड़ताल का दौर प्रारंभिक बताया जा रहा है। जानकारी के मुताबिक,आबकारी राजस्व के नियमानुसार सरकारी तिजोरी में जमा नहीं कराए जाने के कई मामलों को एजेंसियों ने संज्ञान में लिया है। इसकी तस्दीक चौकाने वाली बताई जाती है।

बताते है कि सरकारी दुकानों से इकट्ठा होने वाली रकम का अलग-अलग हिस्सों में वितरण किया जाता था। बहरहाल, ED ने शराब कारोबारियों की तस्दीक के बाद शराब घोटाले पर भी अपना शिकंजा कसना शुरू कर दिया है।

साभार न्यूज टुडे

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