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कोरबा पुलिस ने अरुणिमा सिंह की शिकायत पर न्यायालय के आदेश की अवहेलना करते हुए राज्यपाल को भेजी गलत जांच रिपोर्ट: कृष्ण बिल्डकॉन व प्रशासनिक मिलीभगत , केस में खात्मा रिपोर्ट अदालत में पेश...

पुलिस अधीक्षक कार्यालय, कोरबा द्वारा राजभवन सचिवालय रायपुर को भेजी गई जांच रिपोर्ट में, शिकायतकर्ता अरुणिमा सिंह की ओर से प्रशासन व पुलिस पर लगाए गए सांठगांठ और दबाव बनाने के आरोपों को खारिज कर दिया गया है। यह रिपोर्ट प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के ई-समाधान पोर्टल पर दर्ज शिकायत के संदर्भ में तैयार की गई।
क्या था मामला?
अरुणिमा सिंह, निवासी बी-1/77 ऊर्जानगर, गेवरा प्रोजेक्ट, कोरबा, ने आरोप लगाया था कि उनके द्वारा की गई शिकायत पर कोरबा पुलिस व प्रशासन उचित कार्यवाही करने की बजाय शिकायत वापस लेने का दबाव बना रहे हैं। उन्होंने यह मामला सीधे प्रधानमंत्री कार्यालय तक पहुंचाया था।
जांच प्रक्रिया
नगर पुलिस अधीक्षक कोरबा के माध्यम से की गई जांच में, आवेदिका से संपर्क करने का प्रयास किया गया। सूचना देने पर उनका पुत्र उपस्थित हुआ, जिसने बताया कि आवेदिका वृद्धावस्था के कारण बयान देने में असमर्थ हैं। इस कारण उनका कथन दर्ज नहीं हो सका।
पुलिस की स्थिति
पुलिस द्वारा दी गई रिपोर्ट में स्पष्ट किया गया है कि अरुणिमा सिंह की शिकायत के आधार पर थाना कोतवाली कोरबा में एफआईआर नंबर 1085/2020 के अंतर्गत IPC की धाराएं 420, 465, 467, 468 और 471 के तहत मामला दर्ज कर संपूर्ण विवेचना की गई।
अनुविभागीय दंडाधिकारी (SDM) से प्राप्त जानकारी के आधार पर आरोपी द्वारा अपराध घटित न पाए जाने पर केस में 'खात्मा रिपोर्ट क्रमांक 02/2023' तैयार कर उसे अदालत में प्रस्तुत किया गया।
प्रशासन का निष्कर्ष
पुलिस रिपोर्ट में उल्लेख है कि शिकायतकर्ता संभवतः केस में खात्मा रिपोर्ट प्रस्तुत किए जाने से असंतुष्ट होकर पुनः शिकायत कर रही हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि थाना कोतवाली ने विधिसम्मत कार्रवाई करते हुए जांच पूरी की।
न्यायिक प्रक्रिया के प्रति सख्ती
यह रिपोर्ट बताती है कि जांच प्रक्रिया के हर स्तर पर औपचारिकता का पालन किया गया और प्रशासनिक पारदर्शिता सुनिश्चित की गई। ऐसे मामलों में जहां शिकायतकर्ता द्वारा बार-बार उच्च स्तरों पर शिकायतें की जाती हैं, वहां रिपोर्ट इस बात को दर्शाती है कि मामलों की निष्पक्ष जांच और रिपोर्टिंग जारी है। जबकि यह पुरी तरह गलत रिपोर्ट राज्य पाल को पुलिस अधीक्षक के द्वारा भेजा गया है । न्यायालय के आदेश में न्यायालय ने माना है अपराध कारित हुआ है रिकार्ड में छेड़छाड़ हुआ है। उसके बावजूद खात्मा रिपोर्ट पेश किया जाना संदेह को जन्म देता है।