साजिश, सिफारिश और संविदा: इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में 'दामाद नियुक्ति' का खुलासा! स्थापना के दिन मचा बवाल

खैरागढ़: छत्तीसगढ़ के खैरागढ़ स्थित इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय में वर्षों से चल रहा एक बड़ा शैक्षणिक और प्रशासनिक घोटाला सामने आया है। विश्वविद्यालय के तत्कालीन कुलपति प्रोफ़ेसर मांडवी सिंह पर अपने सगे दामाद विजय सिंह को अवैध रूप से ‘सहायक कुलसचिव’ के पद पर नियुक्त कराने का संगीन आरोप लगा है। यह मामला न सिर्फ सिफारिश की मिसाल है, बल्कि यह दिखाता है कि कैसे विश्वविद्यालयी नियमों, राज्य शासन के आदेशों और शैक्षणिक योग्यता की धज्जियां उड़ाकर संबंधों की सीढ़ी चढ़ाई गई है।

यह पूरा मामला विश्वविद्यालय प्रशासन में बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और साजिश का उजागर करता है। वर्ष 2013 में बिना राज्य शासन की अनुमति और योग्यता की अनिवार्यता को वांछनीय बताकर फर्जी वॉक-इन इंटरव्यू के जरिए विजय सिंह को संविदा नियुक्ति दी गई। इसके बाद, मात्र तीन दिनों के अंतराल पर दो विज्ञापन प्रकाशित कर 2016 में नियमित चयन प्रक्रिया आरंभ की गई, जिसमें चयन समिति की अध्यक्षता करते हुए बिना उचित योग्यता जांचे विजय सिंह को पुनः नियुक्त किया गया। विजय सिंह के पास भारत के किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से मास्टर्स डिग्री या समकक्ष योग्यता नहीं है और जो MBA प्रमाण पत्र उन्होंने प्रस्तुत किया था, वह UGC/AICTE/AIU से मान्यता प्राप्त नहीं है।APPLIAPPLI 03

इसके बावजूद वे सहायक कुलसचिव के पद पर कार्यरत हैं और विश्वविद्यालय को लाखों रुपये का नुकसान पहुंचा चुके हैं। साथ ही, चयन समिति में कुलपति की जगह बस्तर विश्वविद्यालय के कुलपति को चेयरपर्सन बनाना विश्वविद्यालय अधिनियम 13(3) का उल्लंघन है। इस पूरे घोटाले के खिलाफ कई शिकायतें की गईं, लेकिन तत्कालीन कुलपति प्रो. मांडवी सिंह ने उन्हें दबा दिया। अब जब मामला सार्वजनिक हुआ है, सवाल उठता है कि क्या विश्वविद्यालय प्रशासन निष्पक्ष जांच करेगा, दोषियों को सजा देगा और विजय सिंह की अवैध नियुक्ति को निरस्त करेगा ? यह मामला केवल एक विश्वविद्यालय तक सीमित नहीं है, बल्कि यह देश के शैक्षणिक संस्थानों में हो रही भाई-भतीजावाद, सिफारिश तंत्र और व्यवस्थागत भ्रष्टाचार की गवाही देता है। यदि समय रहते कार्रवाई नहीं हुई, तो योग्यता की जगह "रिश्ता" ही नया नियम बन जाएगा।

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