पी एच ई के द्वारा कराया गया नलकूप खनन में 13 करोड़ का घोटाला आया सामने, जांच में खुली पोल

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पी एच ई के द्वारा कराया गया नलकूप खनन में 13 करोड़ का घोटाला आया सामने, जांच में खुली पोल प्रभारी एसडीओ ने डीएमएफ की राशि से बिना टेंडर किए ज्यादा दरों पर करवाया काम, कमेटी ने कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपीरायगढ़ : नलकूप खनन में करोड़ों के भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की […]

पी एच ई के द्वारा कराया गया नलकूप खनन में 13 करोड़ का घोटाला आया सामने, जांच में खुली पोल

प्रभारी एसडीओ ने डीएमएफ की राशि से बिना टेंडर किए ज्यादा दरों पर करवाया काम, कमेटी ने कलेक्टर को रिपोर्ट सौंपी
रायगढ़ : नलकूप खनन में करोड़ों के भ्रष्टाचार की शिकायत पर जांच रिपोर्ट प्रस्तुत की गई है। इसमें कई हैरतअंगेज खुलासे हुए हैं। बिना टेंडर बुलाए करोड़ों का काम टुकड़ों में केवल कोटेशन और सहमति पत्र के आधार पर कर दिया। ज्यादातर जगहों पर खनन में गहराई कम मिली और पाइप की गुणवत्ता भी बिल के मुताबिक नहीं मिली। मतलब 3.5 एमएम की केसिंग लगाई लेकिन बिल 6.5 एमएम का पास किया। विद्युत/यांत्रिकी लाइट मशीनरी नलकूप एवं गेट उप संभाग रायगढ़ ने 2019-20 से 2022-23 के बीच मनमाने तरीके से 12 करोड़ के नलकूप खनन समेत कई कामों का ठेका टेंडर के बजाय कोटेशन और सहमति पत्र के आधार पर दिया।

जिले के छात्रावासों, आश्रमों, स्कूलों, आंगनबाड़ी केंद्रों में नलकूप खनन, पेयजल सप्लाई, पानी टंकी, आरओ प्लांट, पाइप लाइन विस्तार के लिए नलकूप खनन विभाग को 13,89,74,415 करोड़ रुपए की प्रशासकीय स्वीकृति दी गई थी। इस राशि का नियमानुसार उपयोग करने के बजाय प्रभारी एसडीओ ने मनमानी की। सामाजिक कार्यकर्ता बजरंग अग्रवाल ने इसकी लिखित बिंदुवार शिकायत की थी। कलेक्टर ने अक्टूबर 2023 में जांच के आदेश दिए थे। कमेटी ने जांच रिपोर्ट कलेक्टर के समक्ष प्रस्तुत कर दी है जिसमें पूरे घोटाले की कलई खुल गई है। जांच में पता चला कि एसडीओ ने बाजार दर पर इन कार्यों की स्वीकृति दी जबकि स्वीकृत एसओआर उपलब्ध है।

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राशि को दो लाख के हिसाब से कई टुकड़े कर चहेते ठेकेदारों से सहमति पत्र लेकर काम कराया गया है। नियम है कि एक लाख से अधिक के कार्य को खुली निविदा बुलाकर कराने चाहिए और 20 लाख से अधिक के काम में ई-प्रोक्योरमेंट माध्यम से निविदा बुलाई जानी चाहिए। कुल 447 नलकूप खनन किए गए, जिसमें पीएचई के एसओआर से करीब 78 हजार रुपए अधिक राशि का व्यय किया गया। नलकूप संख्या के हिसाब से ठेकेदारों को करीब 3.50 करोड़ रुपए का ज्यादा भुगतान किया गया। बिना प्रतिस्पर्धा के केवल सहमति पत्र लेकर काम करवा लिया गया।

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पौने दो लाख का पड़ा एक नलकूप
जांच में पता चला है कि नलकूप खनन के लिए एसडीओ ने करीब 1.75 लाख रुपए प्रति नलकूप का रेट स्वीकृत किया जबकि पीएचई के एसओआर में करीब 97 हजार रुपए का रेट स्वीकृत है। इस तरह तकरीबन 78 हजार रुपए प्रति नलकूप ज्यादा भुगतान किया गया। करीब साढ़े तीन करोड़ रुपए का अतिरिक्त भुुगतान ठेकेदारों को किया गया। पंप स्थापना, पानी टंकी, आरओ, पाइप लाइन का काम भी बिना टेंडर के चहेते फर्म को दे दिया गया।

केसिंग में भी जबर्दस्त सेटिंग
जांच टीम ने तकरीबन सारे नलकूपों का भौतिक सत्यापन किया जिसमें भारी गड़बड़ी पाई गई। जीआई और यूपीवीसी पाइप घटिया स्तर के पाए गए। यूपीवीसी केसिंग की मोटाई 3 से 3.5 एमएम पाई गई जबकि यह 5.7 एमएम से 6.5 एमएम होनी चाहिए। जितने मीटर गहराई की बिलिंग की गई है, उससे कम खनन किया गया। बिलों में और वर्तमान में गहराई में भारी अंतर मिला है। उदाहरण के तौर पर 100 मीटर खनन कर 150 मीटर की बिलिंग की गई है। सीएसआईडीसी की लिस्ट में शामिल सामग्रियों की खरीदी भी मार्केट रेट पर हुई है। 200 एमएम व्यास का खनन हुआ है जबकि केसिंग 150 एमएम की डाली गई है जिससे गैप आ गया है।

भारी वित्तीय अनियमितता
रायगढ़ प्रभारी एसडीओ ने वित्तीय रूप से बहुत बड़ी गड़बड़ी की है। सहायक अभियंता को किसी भी प्रकार का आहरण और संवितरण का अधिकार ही नहीं है। लेकिन डीएमएफसे मिली राशि के लिए अलग से खाता खुलवाया गया। इसमें मनमाने तरीके से व्यय भी किया गया। यह भी पता चला है कि भुगतान की जानकारी ऑडिटर जनरल के मासिक लेखे में नहीं भेजी गई। इसलिए ऑडिट में भी मामला पकड़ में नहीं आया। कुणाल प्रताप सिंह मुंगेली, कल्पेश पटेल बिलासपुर, आदित्य साहू बिलासपुर, मोहन कंस्ट्रक्शन बिलासपुर और सतीश कुमार शर्मा बिलासपुर से काम करवाया गया है।

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