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जग्गी हत्याकांड: अमित जोगी को बरी करने के खिलाफ सीबीआई की अपील सुप्रीम कोर्ट में स्वीकार
नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ के चर्चित रामअवतार जग्गी हत्याकांड मामले में सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को अहम फैसला सुनाया है। शीर्ष अदालत ने सीबीआई की अपील को स्वीकार करते हुए इसे छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट को वापस भेजने का आदेश दिया है, ताकि वहाँ मामले की मेरिट पर पूरी तरह से सुनवाई हो सके। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी के पुत्र अमित जोगी को बरी किए जाने के आदेश पर कानूनी लड़ाई में नया मोड़ आ गया है।
क्या था पूरा मामला?
०४ जून २००३ को रायपुर में एनसीपी नेता रामअवतार जग्गी की हत्या कर दी गई थी। प्रारंभिक जाँच के बाद छत्तीसगढ़ सरकार ने मामला सीबीआई को सौंप दिया था। सीबीआई की जाँच में अमित ऐश्वर्य जोगी और कई अन्य लोगों पर हत्या और साजिश में शामिल होने का आरोप लगा था। हालांकि, ३१ मई २००७ को रायपुर की विशेष अदालत ने सबूतों के अभाव में अमित जोगी को बरी कर दिया था, जबकि २८ अन्य आरोपियों को दोषी ठहराया गया था।
हाईकोर्ट ने खारिज की थी अपीलें, सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को दी राहत
अमित जोगी को बरी किए जाने के खिलाफ राज्य सरकार, सीबीआई और पीड़ित पक्ष के सतीश जग्गी (रामअवतार जग्गी के पुत्र) ने बिलासपुर हाईकोर्ट में अपील की थी। लेकिन हाईकोर्ट ने इन याचिकाओं को गैर स्वीकार्य या विलंबित बताते हुए खारिज कर दिया था, जिसके बाद तीनों पक्ष सुप्रीम कोर्ट पहुँचे थे।
सुप्रीम कोर्ट की तीन सदस्यीय पीठ न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, न्यायमूर्ति संजय करोल और न्यायमूर्ति संदीप मेहता ने फैसला सुनाते हुए राज्य सरकार की अपील को गैर स्वीकार्य माना। कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब जाँच सीबीआई ने की हो, तो अपील का अधिकार राज्य सरकार के पास नहीं बल्कि केंद्र सरकार के पास होता है।
शिकायतकर्ता सतीश जग्गी की अपील भी खारिज कर दी गई, क्योंकि उन्हें अपील का अधिकार देने वाली सीआरपीसी की धारा ३७२ वर्ष २००९ में लागू हुई थी, जबकि बरी का आदेश २००७ में आया था।
तकनीकी कारणों से गंभीर मामला खारिज नहीं होगा
सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई की अपील में हुई देरी को माफ कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इतने गंभीर मामले को केवल तकनीकी कारणों से खारिज नहीं किया जा सकता। सुप्रीम कोर्ट ने निर्देश दिया कि छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट अब सीबीआई की अपील पर विस्तृत सुनवाई कर अंतिम निर्णय दे। कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया है कि हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान अमित जोगी, राज्य सरकार और पीड़ित सतीश जग्गी तीनों पक्षों को अपनी बात रखने का पूरा अवसर दिया जाएगा।
