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लाखों की डील पर रूबी तोमर की स्क्रिप्टेड गिरफ्तारी : रायपुर पुलिस की प्रतिभा पर उठे सवाल!
रायपुर। पिछले कई महीनों से फरार चल रहे बहुचर्चित सूदखोर आरोपी रूबी तोमर को आखिरकार रायपुर पुलिस की अति संवेदनशील टीम ने ढूंढ निकाला। रूबी तोमर पर यह मेहरबानी तब हुई जब उनकी हाई कोर्ट से जमानत याचिका खारिज हो चुकी थी और गिरफ्तारी के बिना आगे की सुनवाई संभव नहीं थी। इस अचानक हुई खोजबीन को लेकर पुलिस की टाइमिंग और कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं।
फरार आरोपी की खोज पर कांग्रेस नेता क्यों नहीं?
पूरे मामले में सबसे दिलचस्प बात यह है कि ईडी (ED) का चार्जशीटेड आरोपी इतने लंबे समय तक बिना सरकारी संरक्षण के फरार कैसे रह सकता था? वहीं, दूसरी ओर कांग्रेस नेता रामगोपाल अग्रवाल को रायपुर पुलिस तीन साल से खोज नहीं पाई है, लेकिन रूबी तोमर पर अचानक नजरें इनायत हो गईं। राजनीतिक गलियारों में यह खुली चर्चा है कि अग्रवाल जैसे नेता पुलिस को क्यों नहीं दिखते, इसका कारण सबको पता है। बस, थोड़ा सा ऊपर का हाथ चाहिए होता है।
बड़े ठाकुर की शह और सेटिंग का खेल
सूत्रों की मानें तो रूबी तोमर को बचाने का यह पूरा खेल बड़े ठाकुर की शह पर कई दिनों से चल रहा था। चूंकि मामला तलवार और राजपूताना से जुड़ा है, इसलिए हाई कोर्ट में जमानत याचिका पर सुनवाई होने तक रूबी तोमर, रायपुर पुलिस को दिखाई नहीं पड़े।
जैसे ही जमानत याचिका खारिज हुई, सेटिंग का बड़ा खेल शुरू हुआ। उम्मेद की अगुवाई में कथित तौर पर पुलिस ने उच्चतम सूचकांक के साथ बाजार खोलते हुए दरें तय कीं। इसके बाद रायपुर की प्रतिभाशाली पुलिस को अचानक ग्वालियर में रूबी तोमर पर नजरें इनायत हो गईं।
ब्रांडिंग की कोशिश में बनियान बारात हुई फ्लॉप
अब सवाल पुलिस की इमेज और ब्रांडिंग का था। इसलिए गिरफ्तारी के बाद आरोपी को बनियान में जिस तरह मीडिया के सामने लाया गया, वह पूरी तरह से एक स्क्रिप्टेड बारात लग रही थी। बस! एक्टिंग थोड़ी ओवर हो गई और रायपुर की यह प्रतिभावान पुलिस अपनी अति उत्साह में बेपर्दा हो गई। जनता अब सवाल कर रही है कि जब गिरफ्तारी इतनी सहज थी, तो इतने महीनों तक पुलिस क्या कर रही थी? क्या यह सिर्फ एक सुनियोजित सरेंडर था, जिसे गिरफ्तारी का नाम दिया गया है?
