बोधी घोटालेबाज आलोक अग्रवाल की CM दफ्तर में 'साजिश': तकनीकी सलाहकार बनने के लिए जोर-शोर से लॉबिंग

रायपुर/बिलासपुर। छत्तीसगढ़ के जल संसाधन विभाग में हुए बड़े घोटालों से जुड़े पूर्व अधीक्षण अभियंता आलोक अग्रवाल एक बार फिर सत्ता के गलियारों में हलचल मचा रहे हैं। बोधी मंडल से हटाए जाने के बाद वे अब खुद को तकनीकी सलाहकार बनवाने के लिए सीएम कार्यालय और मंत्रालय के चक्कर काट रहे हैं। सूत्रों के हवाले से मिली जानकारी के मुताबिक, भ्रष्टाचार के गंभीर आरोपों से सनी उनकी फाइल मुख्यमंत्री कार्यालय (CM Office) में पहुंच चुकी है और इस पर जल्द ही कोई फैसला होने की संभावना है। सवाल यह है कि जिस अधिकारी के घर 2016 में लाखों करोड़ों की अकूत संपत्ति मिली थी और जो जेल जा चुका है, क्या उसे दोबारा इतनी बड़ी जिम्मेदारी मिलेगी?

अरबों का घोटाला और फिर वापसी की जद्दोजहद

आलोक अग्रवाल का नाम छत्तीसगढ़ के सबसे दागी अफसरों की लिस्ट में सबसे ऊपर रहा है। 2016 में आर्थिक अपराध शाखा (EOW) और एसीबी की छापेमारी में उनके घर से नकद, सोना चांदी और जमीन के दस्तावेज बरामद हुए थे, जिसके बाद उन्हें निलंबित कर जेल भेजा गया था। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद उनकी वापसी हुई और उन्हें प्रमोशन देकर बोधी में प्रभारी अधीक्षण अभियंता बनाया गया। अब हटाए जाने के बाद, उनकी यह लॉबिंग साफ बताती है कि वे किसी भी कीमत पर CM ऑफिस में पद पाना चाहते हैं।

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12 करोड़ का फ्लड वॉल घोटाला: अरपा की बाढ़ में धुल गई साख

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अग्रवाल के कार्यकाल का सबसे कुख्यात मामला बिलासपुर की अरपा नदी फ्लड वॉल घोटाला है। करीब 12 करोड़ रुपये की लागत से बनी यह दीवार घटिया निर्माण सामग्री के कारण पहली ही बाढ़ में ढह गई थी। ठेकेदारों से मिलीभगत करके सरकारी खजाने को लूटा गया। इस मामले को विपक्ष वाल घोटाला कहकर सरकार को घेरता रहा है। जांच में अग्रवाल की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी, लेकिन वह कानूनी दांव-पेंच से बच निकले।

6 करोड़ का पहन्दा एनिकट: 5 साल में ही ध्वस्त, भाई पर भी सवाल

एक और बड़ा भ्रष्टाचार का मामला पहन्दा एनिकट से जुड़ा है। 6 करोड़ रुपये की लागत से 2023 में बना यह बांध महज 5 साल में ही टूट गया और हाल की बाढ़ में पूरी तरह बह गया, जिससे किसानों की फसलें बर्बाद हो गईं। विधायक अटल श्रीवास्तव ने विधानसभा में इस पर सख्त कार्रवाई की मांग की थी। चौंकाने वाली बात यह है कि सिंचाई विभाग के ठेकेदार आलोक अग्रवाल के भाई पवन अग्रवाल है। ऐसे में सवाल उठ रहा है कि क्या यह सिर्फ एक अधिकारी नहीं, बल्कि एक पारिवारिक भ्रष्टाचार का चक्र है?

विभागीय सूत्रों के अनुसार, अग्रवाल की वापसी की लॉबिंग में बड़े नाम शामिल हैं। हालांकि, उन पर फर्जी विकलांगता सर्टिफिकेट से जमानत लेने के गंभीर आरोप भी लगे हैं और एसीबी के पुराने केस अभी भी लंबित हैं। अफसरों का मानना है कि अगर उनकी फाइल पास होती है, तो यह सरकार की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति पर बड़ा सवालिया निशान खड़ा करेगा।

अब सबकी निगाहें मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय पर टिकी हैं कि क्या वे इस दागी अफसर को दोबारा सरकारी कुर्सी सौंपकर विभाग की साख दांव पर लगाएंगे, या भ्रष्टाचार के खिलाफ अपनी नीति पर कायम रहेंगे।

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