अवैध खनन माफिया बेखौफ! मस्तूरी के दर्रीघाट में नदियों का सीना चीरकर कर रहे रेत परिवहन

बिलासपुर। बिलासपुर जिले में खनन माफिया का आतंक इस कदर बढ़ गया है कि उनके बेलगाम वाहन कब कहां किसे कुचल दें, यह कहना मुश्किल है। बिलासपुर के मोपका कुटीपारा, मस्तूरी के दर्रीघाट, धूमा और मानिकपुर में खनन माफिया अरपा नदी का सीना चीरकर अवैध खनन सामग्री का परिवहन कर रहे हैं, जिससे यह साफ है कि उन्हें उच्च स्तर का संरक्षण प्राप्त है। खनन माफिया की इस दबंगई ने जिला प्रशासन, खनिज विभाग और परिवहन विभाग की चुप्पी पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। 

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तंत्र की खामोशी के कारण माफिया को मिली खुली छूट। 

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बिलासपुर के अरपा और दर्रीघाट, धूमा, मानिकपुर जैसे क्षेत्रों में शाम ढलते ही अवैध खननकारियों के दर्जनों की संख्या में डंपर, ट्रक और ट्रैक्टर ट्रालियां नदियों में घुसते हैं और बेखौफ होकर रेत को अपने ठिकानों तक पहुंचाते हैं। खाकी के दामन पर माफिया की सरपरस्ती के दाग लगने के आरोप तो लगते ही रहे हैं, लेकिन जिम्मेदार जिला प्रशासन, खनिज विभाग और परिवहन विभाग की खामोशी भी सवालों के घेरे में है। अधिकारियों की निष्क्रियता के कारण खनन माफिया हमेशा पुलिस से दो कदम आगे दिखाई देते हैं। खनन माफिया ने अपनी जड़ें इतनी गहरी जमा ली हैं कि उन्हें तंत्र का जरा भी खौफ नहीं है। यही वजह है कि कभी कभार होने वाली कार्रवाई में प्रति वाहन 25 हजार रुपये और प्रति घन मीटर खनिज सामग्री पर 450 रुपये के जुर्माने की उन्हें कोई खास परवाह नहीं रहती। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, इस पूरे अवैध कारोबार में क्षेत्र के एक सरपंच का नाम भी सामने आ रहा है। यह सरपंच अपने नेम प्लेट को भगवा रंग में रखता है। बताया जाता है कि यह सरपंच और उसका परिवार जमीन का भी काम करता है और आए दिन विवादों में घिरा रहता है। जिलेभर में नदियों से धड़ल्ले से अवैध खनन चल रहा है, लेकिन इक्का दुक्का अभियानों को छोड़कर इस पर अंकुश लगाने की दिशा में प्रशासन द्वारा कोई गंभीरता नहीं दिखाई गई है। 

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