हाईकोर्ट ने बहाल किया फूड इंस्पेक्टर, दो दिन बाद ही दूसरे केस में उम्रकैद की सजा

बिलासपुर । हाईकोर्ट के फैसले और ट्रायल कोर्ट की सजा से जुड़ा बेहद चौंकाने वाला मामला सामने आया है। भारतीय नौसेना के पूर्व सैनिक और फूड इंस्पेक्टर प्रहलाद प्रसाद राठौर को हाई कोर्ट ने उनकी बर्खास्तगी के आदेश को रद्द करते हुए बड़ी राहत दी थी, लेकिन दो दिन बाद ही रायपुर के ट्रायल कोर्ट ने उन्हें एक अन्य मामले में आजीवन कारावास की सजा सुना दी।

 स्पेशल जज (एट्रोसिटीज) पंकज कुमार सिन्हा की कोर्ट ने यह फैसला सुनाया जिसके बाद राठौर को गिरफ्तार कर रायपुर जेल भेज दिया गया। सबसे रोचक तथ्य यह है कि फैसला आने के समय भी राठौर पेंड्रा जेल में आपराधिक षड्यंत्र और लोक संपत्ति के गबन (धारा 409) के मामले में पहले से बंद था।

 

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पेंड्रा रोड निवासी प्रहलाद प्रसाद राठौर को भूतपूर्व सैनिक कोटे से 30 अगस्त 2018 को फूड इंस्पेक्टर के पद पर नियुक्त किया गया था। उन्हें 15 मार्च 2024 को पुलिस वेरिफिकेशन रिपोर्ट के आधार पर सेवा से हटा दिया गया था, जिसमें उनके खिलाफ पुराने आपराधिक प्रकरणों का हवाला दिया गया था। राठौर ने इसे हाई कोर्ट में चुनौती दी। चीफ जस्टिस रमेश सिन्हा और जस्टिस बीडी गुरु की डिवीजन बेंच ने 3 नवंबर 2025 को दिए अपने फैसले में बर्खास्तगी के आदेश को निरस्त कर दिया। राठौर की अपील में तर्क दिया गया था कि पुराने मामले वर्ष 2002 में उनके नाबालिग रहते मामूली झगड़े के थे और लोक अदालत में समझौता हो चुका था। साथ ही, उन्हें बर्खास्तगी से पहले पक्ष रखने का मौका भी नहीं दिया गया था।

आजीवन कारावास: जिला पंचायत सदस्य का मामला

सेवा बहाली के फैसले के सिर्फ दो दिन बाद ही, राठौर को रायपुर कोर्ट से तगड़ा झटका लगा। उस पर रायपुर कोर्ट में अपहरण, धमकी और अनाचार का गंभीर मामला विचाराधीन था। इस मामले की शिकायतकर्ता बलौदा बाजार की एक जिला पंचायत सदस्य हैं, जिन्होंने आरोप लगाया था कि राठौर ने खुद को अविवाहित बताकर उनसे संबंध बनाए। बाद में वीडियो वायरल करने की धमकी देकर उन्हें 31 जनवरी 2023 को एक होटल बुलाया, बंधक बनाया और अनाचार किया। अगले दिन उन्हें सुनसान जगह ले जाकर अन्य लोगों के साथ मारपीट भी की गई। पीड़िता पिछले साल हुए पंचायत चुनाव में भी पुनः जिला पंचायत सदस्य चुनी गई हैं। इस मामले में सुनवाई पूरी होने के बाद स्पेशल जज (एट्रोसिटीज) पंकज कुमार सिन्हा की पीठ ने राठौर को दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई, जिसके बाद उन्हें जेल भेज दिया गया।

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