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अविवाहितों के नाम पर फर्जी राशन कार्ड, कार्ड में बना दिया शादीशुदा बच्चे और बीवी भी
मुंगेली: लोरमी तहसील में बड़ा भ्रष्टाचार उजागर
छत्तीसगढ़ के मुंगेली जिले की लोरमी तहसील अंतर्गत लालपुर पंचायत के मारुकापा गांव में राशन कार्ड घोटाला सामने आया है। इस बड़े भ्रष्टाचार ने एक बार फिर प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। यहां अविवाहित युवकों के नाम पर न सिर्फ फर्जी राशन कार्ड जारी किए गए, बल्कि इन कार्डों में उनकी काल्पनिक पत्नियों और बच्चों के नाम भी जोड़ दिए गए। इन्हीं फर्जी दस्तावेजों के आधार पर लंबे समय से सरकारी खाद्यान्न (राशन) की बड़े पैमाने पर हेराफेरी की जा रही थी।
पूर्व सरपंच पर लगे गंभीर आरोप
गांव के आक्रोशित ग्रामीणों ने इस पूरे भ्रष्टाचार का मास्टरमाइंड पूर्व सरपंच संदीप भार्गव और उनके प्रतिनिधि सुजीत भार्गव को बताया है। ग्रामीणों का आरोप है कि इन दोनों ने मिलकर सुनियोजित तरीके से फर्जी दस्तावेज तैयार करवाए और योजनाबद्ध ढंग से इस राशन सामग्री की हेराफेरी को अंजाम दिया। यह खेल पुराना लग रहा है, जिससे गांव वालों में भारी आक्रोश है।
ऐसे हुआ खुलासा
गांव के कुछ युवकों को जब संदेह हुआ कि उनके नाम पर राशन कार्ड जारी हुआ है, तो उन्होंने अपने स्तर पर मामले की जांच कराई। जांच में यह चौंकाने वाली सच्चाई सामने आई कि जिन युवकों की शादी तक नहीं हुई, उनके राशन कार्ड में पत्नी और बच्चों के नाम दर्ज थे और उनके नाम से राशन भी लगातार बांटा जा रहा था। ग्रामीणों का कहना है कि यह गड़बड़ी पिछले एक साल से भी अधिक समय से चल रही थी।
फर्जी केवाईसी कर किया गबन
जांच में पता चला है कि घोटालेबाजों ने सबसे पहले फर्जी दस्तावेज तैयार किए, फिर अविवाहित लड़कों के नाम पर पत्नी और बच्चों के नाम जोड़कर राशन कार्ड जारी करवाए। इन कार्डों से सरकारी खाद्यान्न का गबन किया गया। इसके लिए फर्जी आधार कार्डों में छेड़छाड़ कर केवाईसी प्रक्रिया में भी हेराफेरी की गई। बताया जा रहा है कि इन फर्जी राशन कार्डों में केवल पुरुष व्यक्ति की ही केवाईसी कराई गई थी, जबकि परिवार के बाकी सदस्यों के सत्यापन की कोई प्रक्रिया पूरी नहीं की गई थी, जिससे यह पूरा घोटाला आसानी से पकड़ा गया।
कलेक्टर से शिकायत
ग्रामीणों ने अब इस पूरे मामले की शिकायत जिला कलेक्टर से की है और मामले में निष्पक्ष जांच और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। खाद्य विभाग पर भी सवाल उठ रहे हैं, क्योंकि ग्रामीणों की शिकायत के बावजूद विभाग ने 15 दिन बीत जाने के बाद भी कोई कार्रवाई नहीं की है। इस घोटाले ने प्रशासन की निगरानी और कार्यप्रणाली पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगा दिए हैं।
