महज आठ साल में बर्बाद हुआ 2.20 करोड़ का एनीकट, अब जीर्णोद्धार करने फिर जारी कर दिए 2.27 करोड़ 

बस्तर/नारायणपुर। बस्तर जिले के बस्तर विकासखंड में नारंगी नदी पर निर्मित अमलीगुडा एनीकट सह पुलिया की गुणवत्ता और निर्माण कार्य को लेकर बड़ा भ्रष्टाचार सामने आया है। वर्ष 2017 में 2.20 करोड़ रुपये की लागत से बनकर तैयार हुए इस एनीकट को मात्र आठ वर्षों में ही जीर्णोद्धार की आवश्यकता पड़ गई है। हैरानी की बात यह है कि इसके जीर्णोद्धार कार्य के लिए लागत से अधिक यानी 2.27 करोड़ रुपये की राशि स्वीकृत की गई है।

लागत से 7लाख ज्यादा जीर्णोद्धार पर खर्च

क्षेत्रीय विधायक एवं मंत्री श्री केदार कश्यप ने 3 नवंबर 2025 को इस एनीकट के जीर्णोद्धार कार्य का भूमिपूजन किया, जिसके बाद यह वित्तीय अनियमितता उजागर हुई। दस्तावेजों के अनुसार, वर्ष 2025 में इस एनीकट सह रपटा निर्माण के लिए 220.27 लाख रुपये (2.20 करोड़) की प्रशासकीय और तकनीकी स्वीकृति प्रदान की गई थी।

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जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं, क्योंकि इतने कम समय में ही एक नई परियोजना की लागत से अधिक राशि उसके जीर्णोद्धार पर खर्च की जा रही है।

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सवालों के घेरे में निर्माण और जीर्णोद्धार से जुड़े अधिकारी

नारंगी नदी फरवरी मार्च में लगभग सूख जाती है और जल प्रवाह नगण्य हो जाता है, ऐसे में इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी इसका जल्द खराब होना निर्माण की निम्न गुणवत्ता को दर्शाता है।

निर्माण के दौरान निम्नलिखित अधिकारी पदस्थ थे, जिनकी जिम्मेदारी सवालों के घेरे में है:

  •  पी के वर्मा, तत्कालीन अधीक्षण अभियंता (सेवानिवृत्त), वर्तमान तकनीकी सलाहकार, जल संसाधन विभाग।
  •  पी जी एस राजपूत, तत्कालीन कार्यपालन अभियंता (सेवानिवृत्त)।
  •   ए पी कुर्रे, तत्कालीन अनुविभागीय अधिकारी (सेवा में)।
  •  एन के रंगारे, तत्कालीन उप अभियंता।

 निर्माण कार्य का ठेका राम कंस्ट्रक्शन, जगदलपुर को मिला था।

वर्तमान अधिकारी भी जांच के दायरे में

अब इस 2.27करोड़ रुपये के जीर्णोद्धार कार्य को मंजूरी देने और इसे आगे बढ़ाने वाले अधिकारी भी जांच के दायरे में हैं। इनमें शामिल हैं:

  •  करण सिंह भण्डारी, प्रभारी मुख्य अभियंता (सेवानिवृत्ति 31जनवरी 2026)।
  •  नरेन्द्र कुमार पाण्डेय, प्रभारी अधीक्षण अभियंता (सेवानिवृत्ति 31 अगस्त 2026)।
  •   वेद प्रकाश पाण्डेय, कार्यपालन अभियंता।
  •   मनोज साहू, अनुविभागीय अधिकारी।
  •   चर्चित चाण्डक, उप अभियंता।

पूरे मामले को लेकर जल संसाधन विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत और भ्रष्टाचार की आशंका जताई जा रही है, जिसकी उच्च स्तरीय जाँच की मांग उठ रही है।

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