पद बिकने का आरोप या अंदरूनी रार? बड़े सौदे पर कांग्रेस की चुप्पी बरकरार, दिल्ली तक पहुंची संगठनात्मक घूसखोरी की बात 

रायपुर/नई दिल्ली। छत्तीसगढ़ कांग्रेस में जिला अध्यक्ष पद की नियुक्तियों को लेकर संगठनात्मक भ्रष्टाचार का सनसनीखेज आरोप सामने आने के बाद तीन दिन बाद भी पार्टी के भीतर हड़कंप मचा हुआ है। कांग्रेस के पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह ने पार्टी हाईकमान की छत्तीसगढ़ सह प्रभारी जरिता जी के सचिव के नाम पर 5 से 7 लाख रुपए रिश्वत मांगे जाने का बड़ा खुलासा किया है। इस गंभीर आरोप ने न केवल छत्तीसगढ़ कांग्रेस की संगठनात्मक पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि दिल्ली तक पार्टी नेतृत्व को असहज कर दिया है।

 

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जरिता जी के सचिव पर लगा लेनदेन का आरोप

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सोशल मीडिया पर वायरल हुए बयान में पूर्व विधायक बृहस्पति सिंह ने खुलकर आरोप लगाया था कि उन्हें सरगुजा संभाग के कई जिलों से सूचना मिली है। इसमें कहा गया है कि एक व्यक्ति जो स्वयं को कांग्रेस की सह प्रभारी जरिता जी का सेक्रेटरी बता रहा है, वह एक महिला के जरिए जिला अध्यक्ष पद के दावेदारों से संपर्क कर रहा है। वह सीधे 5 से 7 लाख रुपए की डिमांड कर रहा है और पैसा देने पर अध्यक्ष बनाने का आश्वासन दे रहा है।

सिंह ने इसे राहुल गांधी की पारदर्शिता की सोच के खिलाफ बताते हुए संगठन की साख को गहरा नुकसान पहुंचने की बात कही है।

 

हाईकमान की चुप्पी

यह कथित सौदेबाजी उस वक्त सामने आई है जब कांग्रेस राज्य में संगठन सृजन मुहिम चला रही है। सिंह ने सीधे सवाल उठाया है कि अगर यह सब हाईकमान की जानकारी के बिना हो रहा है तो यह गंभीर अनुशासनहीनता है और जरिता जी के खिलाफ तत्काल जांच व कार्रवाई होनी चाहिए।

हालांकि, आरोप लगने के तीन दिन बाद भी कांग्रेस के आधिकारिक प्रवक्ता या केंद्रीय नेतृत्व की ओर से कोई स्पष्टीकरण या जांच की आधिकारिक पुष्टि नहीं की गई है, जिससे पार्टी की चुप्पी पर सवाल उठ रहे हैं।

बीजेपी हमलावर, अंदरूनी कलह भी उजागर

उधर, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) को कांग्रेस पर हमलावर होने का मौका मिल गया है। छत्तीसगढ़ भाजपा प्रवक्ता ने कहा है कि कांग्रेस अब आंदोलन की नहीं, बल्कि 'आय के पदों' की राजनीति करने लगी है। उन्होंने तंज कसते हुए कहा कि यह पार्टी अब टिकट से लेकर पद तक बेचने में लगी है।

राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि भले ही यह आरोप बृहस्पति सिंह ने लगाया है, जो पहले भी कई नेताओं पर आरोप लगा चुके हैं और इसलिए उनके आरोपों की विश्वसनीयता जांच का विषय है, लेकिन इन आरोपों ने छत्तीसगढ़ कांग्रेस में संगठनात्मक अस्थिरता और अंदरूनी खींचतान को एक बार फिर उजागर कर दिया है। फिलहाल यह मामला जांच का विषय है, लेकिन पदों की खरीद फरोख्त का संगीन आरोप पार्टी की विश्वसनीयता के लिए बड़ा खतरा बन गया है।

 

 

 

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