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राजनांदगांव में पोस्टर पॉलिटिक्स : उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम में पोस्टर से सांसद गायब, दिखी गुटबाजी
राजनांदगांव। छत्तीसगढ़ की सियासत में इन दिनों पोस्टर पॉलिटिक्स चर्चा का विषय बन गई है। राजनांदगांव में ५ नवंबर को आयोजित उपराष्ट्रपति श्री सी पी राधाकृष्णन के कार्यक्रम से जुड़े निमंत्रण पत्रों और बैनरों से स्थानीय सांसद संतोष पांडेय का नाम और फोटो पूरी तरह से गायब है। सांसद की यह गैरमौजूदगी राजनीतिक गलियारों में भाजपा की आंतरिक गुटबाजी का खुला संकेत मानी जा रही है, जिस पर प्रशासन और संगठन दोनों मौन हैं।
लखपति दीदी सम्मेलन और इंस्टिट्यूट के शुभारंभ पर विवाद
राजनांदगांव में लखपति दीदी सम्मेलन और स्व गुपाल किशोर जी साहू स्मृति उदयपाल मल्टीस्पेशलिटी आई कैंसर इंस्टिट्यूट का शुभारंभ कार्यक्रम आयोजित हुआ, जिसमें उपराष्ट्रपति मुख्य अतिथि थे। कार्यक्रम की अध्यक्षता राज्यपाल श्री रमेेश बैस ने की, जबकि मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष और कई मंत्री विशिष्ट अतिथि के रूप में शामिल हुए।
लेकिन शहर भर में लगे बैनर पोस्टर और जिला प्रशासन द्वारा जारी निमंत्रण पत्र में सांसद संतोष पांडेय का नाम और फोटो नदारद होने से सारा ध्यान कार्यक्रम से हटकर राजनीतिक खींचतान पर केंद्रित हो गया। बैनर पर मुख्यमंत्री, संगठन के पदाधिकारी और स्थानीय नेता प्रमुखता से मौजूद थे।
कार्यकर्ताओं में असंतोष, प्रोटोकॉल पर भी सवाल
स्थानीय भाजपा कार्यकर्ताओं में इस बात को लेकर नाराजगी है। एक वरिष्ठ कार्यकर्ता ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि यह पहला मौका है जब उपराष्ट्रपति के कार्यक्रम में सांसद को निमंत्रण से बाहर रखा गया। कार्यकर्ता ने इसे केवल प्रोटोकॉल की गलती मानने से इनकार करते हुए कहा, "इसके पीछे राजनीतिक मंशा साफ झलक रही है।
वहीं, कांग्रेस नेताओं ने इस मौके पर तंज कसते हुए कहा कि भाजपा में अब पोस्टर ही तय करते हैं कि कौन किस गुट में है। विपक्ष ने कटाक्ष किया कि जिस पार्टी के बैनर से अपने ही सांसद गायब हो जाएं, वहाँ एकता की बात सिर्फ भाषणों में रह जाती है।
प्रशासन पर लगे निर्देश पर काम करने के आरोप
कार्यक्रम का निमंत्रण पत्र जिला प्रशासन, राजनांदगांव द्वारा जारी किया गया था। राजनांदगांव भाजपा के कुछ कार्यकर्ताओं का आरोप है कि सांसद का नाम हटाने का निर्णय प्रशासन ने ऊपर से मिले निर्देशों के तहत लिया। हालांकि, इस संवेदनशील मामले पर न तो जिला प्रशासन की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया आई है और न ही भाजपा संगठन की तरफ़ से कोई बयान जारी हुआ है।
राजनांदगांव की राजनीति में यह घटना सत्ता संतुलन बिगड़ने का नया संकेत है। अब सबकी निगाहें इस बात पर टिकी हैं कि क्या सांसद स्वयं इस पोस्टर पॉलिटिक्स पर कोई प्रतिक्रिया देंगे, या संगठन इसे महज तकनीकी त्रुटि बताकर मामले को टाल देगा।
