सत्ता परिर्वतन पश्चात आईपीएस में कल्लूरी, अमित तथा आईएएस में इन अफसरों की होगी वापसी, डीजीपी के साथ ही कलेक्टर और एसपी भी बदलें जायेगें, इन अफसरों को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी

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सत्ता परिर्वतन पश्चात आईपीएस में कल्लूरी, अमित तथा आईएएस में इन अफसरों की होगी वापसी, डीजीपी के साथ ही कलेक्टर और एसपी भी बदलें जायेगें, इन अफसरों को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश में अप्रत्याशित रूप से सत्‍ता परिवर्तन के बाद प्रदेश स्तर पर प्रशासनिक फेर बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो […]

सत्ता परिर्वतन पश्चात आईपीएस में कल्लूरी, अमित तथा आईएएस में इन अफसरों की होगी वापसी, डीजीपी के साथ ही कलेक्टर और एसपी भी बदलें जायेगें, इन अफसरों को मिल सकती है अहम जिम्मेदारी

रायपुर : छत्तीसगढ़ प्रदेश में अप्रत्याशित रूप से सत्‍ता परिवर्तन के बाद प्रदेश स्तर पर प्रशासनिक फेर बदलाव की सुगबुगाहट तेज हो गई है। लंबे समय से लूप लाइन में भेजे गए अफसर अब नई सरकार में शपथ ग्रहण का इंतजार कर रहे हैं। प्रदेश में भाजपा की जोरदार जीत के दिल्ली में बैठकों का दौर जारी है, जिससे स्पष्ट है कि एक या दो दिन में मुख्यमंत्री का चयन हो जाएगा। इसके बाद मंत्रिमंडल का शपथ ग्रहण होगा। इसके बाद प्रदेश स्तर पर पुलिस और प्रशासन में बड़ा उलटफेर होना तय है। सबसे अधिक बदलाव पुलिस विभाग में होने की अटकलें तेज़ हो गई है। पुलिस मुख्यालय समेत रेंज आईजी और जिलों के कप्तान बदले जाएंगे। तो वहीं दो दर्जन से अधिक कलेक्टर भी बदले जाने की संभावना प्रबल है। मंत्रालय स्तर पर सचिवों के प्रभार में भी काफी बड़ा बदलाव किया जाना लगभग तय है। संभावना ये भी है कि जिन अधिकारियों को कांग्रेस सरकार में हांसिये पर रखा गया था, उन्हें अच्छे विभाग दिए जाएंगे। यह संभावना भी जताई जा रही है कि डीजीपी और पीसीसीएफ को भी बदला जा सकता है। जानकारों का कहना है, बड़े जिलो के अधिकांश कलेक्टर, एसपी बदले जाएंगे। कलेक्टरों में आधे से अधिक इधर-से-उधर होंगे और आधे करीब नए जाएंगे। नए वाले में 2013, 15, 16 और 2017 बैच वाले ज्यादा होंगे। 2017 बैच के पांचों अवेटेड आईएएस को आने वाली लिस्ट में कलेक्टर बनने का अवसर मिल सकता है क्योंकि, काफी दिनों से उनकी कलेक्टरी ड्यू है।

डीजीपी को हटाने से हो सकती है शुरूआत
वर्तमान पुलिस महानिदेशक अशोक जुनेजा जिम्मेदारी से मुक्त हो सकते हैं। अशोक जुनेजा को एक वर्ष की सेवावृद्धि दी गई है, लेकिन नई सरकार उससे पहले ही उन्हे वर्तमान जिम्मेदारी से मुक्त कर सकती है। भाजपा ने विधानसभा चुनाव के दौरान उनके खिलाफ मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी से शिकायत कर हटाने की मांग की थी। उन पर चुनाव को प्रभावित करने का आरोप लगाया गया था। श्री जुनेजा 89 बैच के आईपीएस अफसर हैं।
डीजीपी को हटाने की स्थिति में सरकार वरिष्ठता क्रम के आईपीएस अफसरों अरुण देव गौतम, हिमांशु गुप्ता,पवन देव के साथ-साथ अन्य नामों पर विचार कर सकती है। डीजीपी स्तर पर फेरबदल होने का साथ-साथ निचले स्तर पर भी फेरबदल तय है। संविदा नियुक्ति के बाद ईओडब्ल्यू एवं एसीबी की जिम्मेदारी संभाल रहे डीएम अवस्थी एवं अन्य अफसरों के प्रभार भी बदले जाएंगे।
पुलिस में एडीजी एसआरपी कल्लूरी काफी प्रभावशील रहेंगे। भाजपा शासन काल में कल्लूरी बस्तर आईजी की कमान संभाल चुके हैं। 94 बैच के आईपीएस कल्लूरी की अभी काफी लंबी सर्विस बाकी है। वे 2031 में रिटायर होंगे याने अभी भी 08 साल उनकी सर्विस है।
98 बैच के आईपीएस अमित कुमार सीबीआई के डेपुटेशन से छत्तीसगढ़ लौट चुके हैं। वे रायपुर समेत कई जिलों के एसपी रह चुके हैं। बेहद बैलेंस अफसर माने जाने वाले अमित कुमार को पुलिस महकमे में बड़ी जिम्मेदारी सौंपी जाएंगी। चर्चा यह भी है कि अमित कुमार को खुफिया के साथ एसीबी की कमान भी दी जा सकती है।
95 बैच के आईपीएस प्रदीप गुप्ता की स्थिति भी ठीक-ठाक रहने के आसार हैं। सरकार बदलने के बाद भी पीएचक्यू में उनकी स्थिति पर कोई फर्क नहीं आएगा।
94 बैच के आईपीएस हिमांशु गुप्ता को बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है। वैसे भी आईपीएस गुप्ता को बैलेंस करने में काफी माहिर माना जाता है।
96 बैच के विवेकानंद के पास अभी नक्सल अभियान है। फिलहाल तो आशा यही प्रतीत हो रही है कि उनका भी यह विभाग बरकरार रह सकता है।
कुल मिलाकर कांग्रेस सरकार में कल्लूरी को छोड़कर नई सरकार में सभी का प्रभाव ठीक ठाक ही रहेगा। हालांकि, भाजपा सरकार के 15 सालों में अफसरों से खास नाराजगी नहीं रही थी और ना ही बीते पांच सालों के कांग्रेस सरकार के शासन काल में ऐसा कोई बड़ा इश्यू बना हो, जिसका असर इन पर पड़े। यह माना जा सकता है कि, सांकेतिक तौर पर सरकार कुछ दिन के लिए वर्तमान पोस्टेड अधिकारियों को बदलेगी मगर समझा जाता है, छह महीना, साल भर बाद जो अच्छे पारफार्मेस वाले अफसर हैं, उनकी वापसी हो जाएगी।

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आईएएस अधिकारियों के प्रभार में होगा बड़ा बदलाव
पिछले पांच साल के कांग्रेस सरकार के शासन काल में ऐसे कई आईएएस अधिकारी रहे, जिन्हें पूरे पांच सालों तक किनारे रखा गया। इनमें प्रमुख रूप से राजेश टोप्पो, आर संगीता, पी दयानंद, चंद्रकांत वर्मा , रणवीर शर्मा का नाम है।
आईएएस राजेश टोप्पो का पांच साल यूं ही निकल गया। बेहद तेज-तर्रार और दबंग आईएएस माने जाने वाले दयानंद का मंत्री जयसिंह अग्रवाल से पंगा लेना भी काम नहीं आया। आईएएस लॉबी में समझा गया कि जयसिंह की नाराजगी से सरकार में उन्हें रिस्पांस मिल सकता है मगर उन्हें सबसे अधिक प्रताड़ित किया गया।
2006 बैच के आईएएस दयानंद को सिर्फ आयुर्वेद विभाग का डायरेक्टर बनाया गया और उनसे जूनियर 2008 बैच के भीम सिंह पूरे हेल्थ विभाग के डायरेक्टर रहे। दयानंद समाज कल्याण विभाग के संचालक रहे और उन्हीं का बैचमेट उसी विभाग का सचिव याने उनका बॉस। पिछले साल उन्हें सचिव का चार्ज दिया भी गया तो चिकित्सा शिक्षा विभाग का। यह चार्ज आमतौर पर हेल्थ के साथ ही रहता है। तो दयानंद को बढ़ियां पोस्टिंग मिल सकती है। भाजपा सरकार में वे कोरबा, बिलासपुर जैसे चार जिलों के कलेक्टर रह चुके हैं।
आर संगीता दुर्ग में कलेक्टर रहते ऐसा घटनाक्रम हुआ कि नई सरकार बनने के बाद वे लगातार छुट्टियों में ही रहीं। उन्होंने ज्वाईन करने का साहस नहीं दिखाया। इसकी पूरी संभावना है कि संगीता को अब मौका मिलेगा।
सचिव लेवल पर आर प्रसन्ना की स्थिति भी इस सरकार में बहुत अच्छी नहीं रही। बार-बार उनका विभाग बदलता रहा। परराकाष्ठा तो यह हो गई कि हाई कोर्ट ने आईएएस को सिम्स का ओएसडी बनाने का आदेश दिया तो पूर्व सिकरेट्री हेल्थ रहे प्रसन्ना को सिम्स का ओएसडी बना दिया गया। जाहिर है, प्रसन्ना के लिए यह बड़ा झटका रहा होगा।
आईएएस में निर्विवाद प्रमुख सचिव मनोज पिंगुआ की स्थिति में कोई फर्क नहीं आएगा।
2009 बैच के आईएएस अवनीश शरण भाजपा के समय बलरामपुर के बाद कवर्धा के कलेक्टर रहे मगर नई सरकार में कौशल विकास और तकनीकी शिक्षा, आईटीआई से उबर नहीं पाए। पांच साल उनका यूं ही निकल गया। चुनाव आयोग ने उन्हें संजीव झा की जगह बिलासपुर का कलेक्टर बनाया है। अत्यधिक संभावना है कि अवनीश अब बिलासपुर में ही कंटीन्यू करें।
जूनियर अफसरों में गौरव सिंह के लिए अधिक श्रेष्ठ की संभावना प्रतीत होती है। भाजपा बैकग्राउंड के गौरव बालोद में संघ का कार्यक्रम कराने के कथित आरोप में महीने भर में हटा दिए गए थे। वर्ष 2017 बैच के चंद्रकांत वर्मा कुर्मी हैं और माटी पुत्र भी। इसके बावजूद पता नहीं उनकी क्या खता रही कि उन्हें इधर-से-उधर पटका जाता रहा। इस साल उन्हें मेडिकल कारपोरेशन का चार्ज दिया गया। कलेक्टरी से हटाए गए आर वेंकट, अभीजीत सिंह, इंद्रजीत चंद्रवाल को भी ठीक-ठाक जिला मिलने की संभावना अधिक मानी जा रही है।

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बदलेंगे कलेक्टर और एसपी
जिलों में कलेक्टरों से अधिक एसपी बदलेंगे। रजनेश सिंह जैसे काबिल अफसर को कांग्रेस सरकार ने पांच साल खराब कर दिया। उनका सस्पेंशन समाप्त करने के बाद से वो पी एच क्यू में पदस्थ हैं उन्हें नई सरकार कोई जिला दे सकती है। रजनेश पांच साल से सस्पेंशन समाप्त करने जिम्मेदार लोगों का चक्कर काटते रहे लेकिन कहीं कोई सुनवाई नहीं हुई।
अजातशत्रु और शशिमोहन सिंह जैसे रिजल्ट देने वाले आईपीएस पांच साल से बस्तर में दिन काट रहे। उनकी धमाकेदार वापसी होगी। वहीं लाल उम्मेद सिंह की भी वापसी तय है।
कोरबा कलेक्टर सौरभ कुमार इस सरकार में रायपुर, बिलासपुर और कोरबा के कलेक्टर रहे। हालांकि, कोरबा वे बेमन से गए। सौरभ का पिछली सरकार से भी ट्यूनिंग काफी अच्छी रही है। लिहाजा, माना जाता है कि सौरभ का पोजिशन भी इस सरकार में ठीक-ठाक रहेगी।
कलेक्टरों में कार्तिकेय गोयल और रजत बंसल को भी अच्छा जिला मिलता मगर दोनों दिल्ली जाने वाले हैं। हालांकि, हो सकता है कि कुछ कलेक्टर कंटीन्यू कर जाएं।

पीसीसीएफ स्तर पर भी बड़ा बदलाव तय
आईएफएस अफसरों के प्रभार में भी बड़ा फेरबदल तय है। चुनाव के कुछ माह पहले ही आईएफएस वी.श्रीनिवास राव को पहले पीसीसीएफ और बाद में वन बल प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई थी। इस नियुक्ति के बाद आईएफएस अफसरों की नाराजगी भी सामने आई थी। दरअसल वरिष्ठता क्रम में छठवें नंबर के आईएफएस श्री राव को आधा दर्जन वरिष्ठ आईएफएस अफसरों को सुपरसीड कर वन बल प्रमुख बनाए जाने से बाकी अफसर काफी नाराज हैं। वरिष्ठता क्रम में पहले नंबर के आईएफएस सुधीर अग्रवाल एवं पीसीसीएफ स्तर के कई अफसरों ने कैट में भी इस बात को लेकर चुनौती भी दी है।

केन्द्र में पदस्थ कई वरिष्ठ आईएएस की हो सकती है प्रदेश में वापसी
छत्तीसगढ़ के कई वरिष्ठ आईएएस केन्द्र में कई महत्वपूर्ण पदों पर प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ हैं। प्रतिनियुक्ति पर पदस्थ कई अफसर भाजपा सरकार के समय छत्तीसगढ़ में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल रहे थे। इन अफसरों की फिर राज्य में वापसी हो सकती है।
93 बैच के अमित अग्रवाल मुख्य सचिव स्तर के आईएएस हैं। वे वर्तमान में यूआईडीएआई में सीईओ की जिम्मेदारी संभाल रहे हैं।
आईएएस सुबोध सिंह भी पूर्व की रमन सरकार में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी संभाल चुके हैं। वर्तमान में वे शिक्षा मंत्रालय में नेशनल टेस्टिंग एजेंसी में डीजी के पर पदस्थ हैं। उनकी भी वापसी की संभावना जताई जा रही है।
उनके अलावा पीएमओ में पदस्थ डॉ रोहित यादव, नाडा की सीईओ ऋतु सेन एवं ग्रामीण विकास मंत्रालय में पदस्थ अमित कटारिया भी प्रतिनियुक्ति से वापस छत्तीसगढ़ आ सकते हैं। सीएम सुरक्षा के लिए एसपी प्रखर पाण्डेय की वापसी की संभावना अधिक है क्योंकि एसपी प्रफुल्ल ठाकुर फिलहाल अस्वस्थ चल रहे हैं। इसके अलावा सीएम ओएसडी के लिए प्रवीण शर्मा, आलोक अवस्थी, यातायात विभाग प्रमुख चौबे, मोहम्मद अरशद, विशेष सलाहकार के रूप में अमन सिंह, मुकेश गुप्ता, सुनील कुमार, आदिले के नामों पर भी विचार किए जाने की संभावना अधिक है।

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